________________ Shri Matavian Aradhana Kendra www.kabatm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir मं० म. // 21 // सूर्योदयांतरम्॥तावज्जप्त्वा निरातको मंत्रः कल्पद्रमो भवेत् // 585 // कृष्णाष्टमीमारण्य कृष्णाष्टमीपर्यंतमेकमासपुरश्चरणं ( मुंडमाला / खं०१ प्र०१ याम् ) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिष्यते॥कृष्णाष्टमी समाराय यावत् कृष्णाष्टमी भवेत॥सहस्रसंख्याजते तु पुरश्चरणमिष्यते // 586 // |तरं०१ कृष्णचतुर्दशीमारस्य शुल्कनवमीपर्यंतमेकादशदिनपुरश्चरणम् // ( मुंडमालायाम् ) कृष्णां चतुर्दशी प्राप्य नवम्यन्तं महोत्सवे // अष्टमी नवमीरात्रौ पूजां कुर्याद्विशेषतः // 587 // दशम्यां पारणं कुर्यान्मत्स्यमांसादिभिर्युतम् // षट्सहस्रं जपेन्नित्यं भक्तिभावपरायणः॥ ॥५८८॥अष्टमीमारण्य चतुर्दशीपर्यंत सप्तदिनपुरश्चरणम्॥(कालीतंत्रे) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिष्यते // अष्टम्याञ्च चतुर्दश्यां पक्ष योरुभयोरपि // 589 // सूर्योदयात्समारण्य यावत्सूर्योदयांतरम् ॥तावजप्त्वा निरातकं सर्वसिद्धीश्वरो भवेत् // 590 // भौमशनिवा रपुरश्चरणं ( कालीतंत्रे ) अथ वान्यप्रकारेण पुरश्चरणमिष्यते // कुजे वा शनिवारे वा नरमुंडं समाहृतम् // 591 // पंचगव्येन मिलितं चंदनायविशेषतः // निक्षिप्य भूमौ हस्तार्द्धमानतः काननांतरे // 592 // तत्र तदिवसे रात्रौ सहस्रं / यदि साधकः // एकाकी प्रजपेन्मत्रं स भवेत्कल्पपादपः // 593 // कार्तिकफाल्गुनवैशाखेषु शुक्लपक्षे प्रतिपदामारण्यै कादश्यतमेकादशदिने वैष्णवमंत्रपुरश्चरणविधानम् ( चन्द्रपीठे ) ऊर्जे तपसि राधे वा शुक्रपक्षे तु वैष्णवे // एकादश्यन्तमैशे / तु भूतांतः फाल्गुऽनेतुस्मृतम् // 594 // चतुर्दशीमारण्य चतुर्दशीपर्यंतं पंचदशदिनानि माहेश्वरपुरश्चरणविधानम् // अथ वान्य-19 प्रकारेण पुरश्चरणमिष्यते // चतुर्दशी समारत्य यावदन्या चतुर्दशी // 595 // तावज्जपेन्महेशानि पुरश्चरणमिष्यते // केवलं // 21 // जपमात्रेण मंत्राः सिद्धा भवति हि // 596 // बलिहोमादिदानेन विशेषात्पीठपूजने // योगिपीठं महापीठं कामरूपं तथापरम् // For Private And Personal Use Only