________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir कामो लोद्राज्यं स्त्रीकामः स्त्रियमुत्तमाम् // भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं समाहितः // 11 // अन्यवारे तु होरायां पूजये। गुनन्दनम् // // रोगातों मुच्यते रोगादयातों मुच्यते भयात् // 12 // ययत्यार्थयते वस्तु तत्तत्मामोति सर्वदा // प्रातःकाले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नतः॥१३॥सर्वपापविनिर्मुक्तः प्राप्नयाच्छिवसन्निधौ॥१४॥इति स्कंदपुराणे शुक्रस्तोत्रं समाप्तम् // d // अथ व्यासमंत्रप्रयोगः // (मंत्रमहोदधौ ) मंत्रो यथा-"व्यां वेदव्यासाय नमः // " इत्यष्टाक्षरो मंत्रः // अस्य विधानम् // अस्य। जामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप्छन्दः। सत्यवतीसुतो देवता। व्यां बीजम् / नमः शक्तिः / ममानीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः // ॐ ब्रह्म ऋषये नमः। शिरसि // 1 // अनुष्टुप्छन्दसे नमः / मुखे // 2 // सत्यवतीसुतदेवताय नमः / हृदि // 3 // व्यांबीजाय नमः / IN|गो // 4 // नमःशक्तये नमः / पादयोः॥ 5 // विनियोगाय नमः / सर्वांगे // 6 // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ ॐ व्या हृदयाय नमः // 1 // ॐ व्यी शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ व्यूं शिखायै वषट् // 3 // ॐ व्य कवचाय हुम् // 4 // ॐ व्यौं नेत्रत्रयाय वौषट् / // 5 // ॐ व्यः अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः॥ एवं करांगन्यासं कर्यात् // इति न्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // "व्याख्यामुद्रिकया लसत्करतलं सद्योगपीठस्थितं वामे जानुतले दधानमपरं हस्तेषु विद्यानिधिम् // विप्रवातवृतं प्रसन्नमनस) पाथारुहांगद्युतिं पाराशय॑मतीव पुण्यचरितं व्यासं स्मरेत्सिद्धये // 1 // " इति ध्यात्वा मानसोपचारैः संपूजयेत् // ततः सर्वतोभद्रमंडले / धर्मादिपीठदेवताः संस्थाप्य "ॐ धर्मादिपीठदेवताभ्यो नमः॥” इति पूजयेत् // ततः स्वर्णादिनिर्मित यंत्रं मूर्ति वा ताम्रपाने निधाय घृते / 1 समूह / -03 2 For Private And Personal Use Only