________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मं• म. अथ वेदव्यासपजनयन्त्रम्. // 30 // नात्यज्य तदुपारी दुग्धधारां जलधारां च दत्त्वा स्वच्छवस्त्रेण संशोष्य All पुष्पायासनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कृत्वा पुनात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्यावाहनादिपुष्पान्तरुपचारैः संपूज्य आवरणपूजां कुर्यात् / / बाषट्कोणकेसरेषु आग्नेय्यादिचतुर्दिक्षु मध्ये दिक्षु च / ॐ व्या हृदयाय नमः elu // ॐ व्यी शिरसे स्वाहाँ // 2 // ॐ व्यूं शिखायै वपटू Vi // 3 // ॐ व्य कवचाय हुम् ॥४॥ॐ व्यौं नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // ॐ व्यः अस्त्राय फट् // 6 // इति षडंगानि पूजयेत् // ततः पुष्पांज लिमादाय मूलमुच्चार्य “ॐ अभीष्ठसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल // Niभक्त्या समर्पये तुत्यं प्रथमावरणार्चनम् // 1 // इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्तर्पिताः संतु इति प्रथमावरणम् // 1 // ततोष्टदले पूज्यपूजकयोरंतराले प्राची तदनुसारेण अन्या दिशः प्रकल्प्य प्राच्यादिचतु दिक्षु दक्षिणावर्तेन च / ॐ शल्याय नमः शल्यश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः // इति सर्वत्र॥१॥ॐ वैशंपायनाय नमः / वैशंपायनश्रीपा० // 2 // व्यदिव्या सापनमः // 30 // For Private And Personal Use Only