________________ Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org गर्भसंभूतं विद्युत्तेजःसमप्रभम् // कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम् // 3 // ऋणहत्रे नमस्तुल्यं दुःखदारियनाशिने // नमामि द्योत मानाय सर्वकल्याणकारिणे // 2 // देवदानवगंधर्वयक्षराक्षसपन्नगाः॥ सुखं यांति यतस्तस्मै नमो धरणिमूनवे // 3 // यो वक्रगतिमा पन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति // पूजितः मुखसौभाग्यं तस्मै क्षमासूनवे नमः॥४॥ प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलपद मंगल // मेषवाहन रुद्रात्म। न्पुत्रान्देहि धनं यशः॥५॥"इति संप्रार्थ्य पुष्पांजलिं दद्यात् // ततो ब्राह्मणान्संपूज्य गुरवे दक्षिणां दत्त्वा पूजायां निवेदितान्नं भक्षयेत् // अस्य पुरश्चरणं षड्लक्षजपः॥ समाप्ने व्रते सर्वतोभद्रमण्डलमध्ये ताम्रकलशं यथाविधि संस्थाप्य तत्र स्वर्णमयीं भौमप्रतिमां संपूज्य तदी शान्यां स्थंडिले आग्निं प्रतिष्ठाप्य आधारावाज्यहोमं कृत्वा मूलमंत्रेणाज्यमिश्रितखदिरसमिद्भिर्दशांशतो जुहुयात् // ततः पूर्णपात्रदानांक तं होमशेष समाप्य स्वर्णमूत्यादिकमाचार्याय दत्त्वा पंचाशद्वाह्मणान् गोधमान्नेन भोजयेत्॥एवं कते मंत्रः सिद्धो भवति। सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयो गान साधयेत् // तथा च / “रसलक्षजपैर्होमः समिद्भिः खदिरस्य च॥इत्थं जपादिभिः सिद्धं स्वेष्टसिद्धौ प्रयोजयेत्॥१॥नारी पुत्रमनीप्सती / भोमाहे तद्रतं चरेत् // मार्गशीर्षेऽथ वैशाखे तस्यारम्भः प्रशस्यते॥२॥प्रतिनौमदिनं कुर्यादेवं संवत्सरावधिः // तिलैविधापयेद्धोमं शताई। भोजयेद्विजान् // 3 // एवं व्रतपरा नारी प्रामुयात्सुभगान्सुतान् // धनात्यै ऋणनाशाय व्रतं कुर्यात्पुमानपि // 4 // " इति भौमषडक्ष रमंत्रप्रयोगः // अथ मंगलस्तोत्रम् // ॐ अस्य श्रीभौमस्तोत्रस्य गर्गऋषिः। मंगलो देवता / त्रिष्टुप्छन्दः। ऋणापहरणे जपे विनियोगः॥ अथ ध्यानम् // “रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्मुखो मेघगदो गदाधृक् // धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा मम स्याद्वरदः प्रशांतः / // 1 // ॐ मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः // स्थिरात्मजो महाकायः सर्वकामार्थसाधकः // 2 // लोहितो लोहितांगश्च TO-TE For Private And Personal Use Only