________________ Shiv a Aradhana Kendra mame.kabatm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir तरं०११ तृतीयावरणम् // 3 // ततो यंत्रे पूर्वादिक्रमेण ॐ लं इंद्राय नमः // 1 // ॐ रं अग्नये नमः॥ 2 // ॐ म यमाय नमः पू० ख०१ // 3 // ॐ शं निर्ऋतये नमः // 4 // ॐ वं वरुणाय नमः // 5 // ॐ यं वायवे नमः // 6 // ॐ कुं कुबेराय नमः॥७॥ मिळतं. Hॐ हं ईशानाय नमः // 8 // पूर्वेशानयोमध्ये ॐ आं ब्रह्मणे नमः // 9 // वरुणनिर्ऋत्योर्मध्ये ॐ ह्रीं अनंताय नमः ॥१०॥इति दशदिक्पालान् पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति चतुर्थावरणम् // 4 // ततः पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिसमीपे ॐ वं वजाय नमः // 1 // ॐ शं शक्तये नमः // 2 // ॐ दं दंडाय नमः // 3 // ॐ खं खड्गाय नमः // 4 // ॐ पं पाशाय नमः // 5 // ॐ अंअंकुशाय नमः // 6 // ॐ गं गदायै नमः // 7 // ॐ त्रिं त्रिशूलाय नमः // 8 // ॐ पं पद्माय नमः // 9 // ॐ चं चकाय नमः॥ 10 इत्यस्त्राणि संपूज्य पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति पंचमावरणम् // 5 // इत्यावरणपूजां कृत्वा धूपदीपगोधूमाननेवेद्यतांबू लदक्षिणानीराजनादिभिः संपूज्य अर्घ्य दद्यात् // तद्यथा--जलपूर्णे ताम्रपत्रे गंधपुष्पाक्षतफलानि च निःक्षिप्प जानुभ्यामवनीं गत्वा / "ॐ भूमिपुत्र महातेजः स्वेदोद्भव पिनाकिनः // सुतार्थिनी प्रपन्ना त्वां गृहाणायं नमोस्तु ते // 1 // रक्तप्रवालसंकाश जपाकुसुमस निभ // महीसुत महाबाहो गृहाणायं नमोस्तु ते // 2 // " इति मंत्रव्येनार्य दत्त्वा पूर्वोक्तैरेकविंशतिनामभिस्तावत्यः प्रदक्षिणाः कृत्वा साष्टांगं प्रणम्य यथासंख्यं मूलमंत्र जप्त्वा रेखामार्जनं कुर्यात् // तद्यथा-खदिरांगारकेण रेखात्रयं समं कृत्वा ततः “दुःखदौर्भाग्य // 296 // नाशाय पुत्रसंतानहेतवे // कृतरेखात्रयं वामपादेनैतत्प्रमार्म्यहम् // 3 // ऋणदुःखविनाशाय मनोऽभीष्टार्थसिद्धये ॥मार्जयाम्यसिता रेखास्तिस्रो जन्मत्रयोद्भवाः // 2 // “इति मंत्रद्वयेन वामपादेन मार्जयेत्॥” इति रेखामार्जनं कृत्वा पुष्पांजलिमादाय “ॐ धरणीगर्न। For Private And Personal Use Only