________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra mame.kabatm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir विद्विषामपि संघातं नाशयेन्मनुनाऽमुना // पौर्णमास्यां निराहारो दद्यादयं विधूदये॥८॥ प्रायत्यगायतं कर्याद्रतले मंडलत्रयम् // निष पणः पश्चिमे मंत्री मंडले विहितासने // 9 // मध्यस्थे स्थापयेत्पश्चात्पूजाद्रव्याण्यशेषतः // अस्मिन्हि मंडले सोममर्चयित्वांबुजान्विते / // 10 // राजतं चषकं भद्रं स्थापयेत्पुरतः सुधीः // गोदुग्धेन समापूर्य स्पृष्ट्वा तं प्रजपेन्मनुम् // 11 // अष्टोत्तरशतं पश्याद्विद्यामंत्रणा देशिकः // दद्यादय॑ शशांकाय सर्वकामार्थसिद्धये // 12 // अनेन विधिना कर्वन्प्रतिमासमतंद्रितः // षण्मासाध्यंतरे सिद्धि साधकेंद्रः समनते // 13 // श्रियमत्यूजितांपुत्रान्सौभाग्यं विपुलं यशः // कन्यामिष्टामवामोति कन्यापि वरमीप्सितम् // 14 // बहुना किमि होक्तेन सर्व दयान्निशापतिः // " इति षडक्षरचन्द्रमोमंत्रप्रयोगः॥ अथ चन्द्रमस्स्तोत्रम् // "ॐ श्वेताम्बरः श्वेतवपुः किरीटी श्वेतद्युति दंडधरो द्विबाहुः // चन्द्रोमृतात्मा वरदः शुशांकः श्रेयांसि मह्यं प्रददातु देवः // 1 // दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदर्णवसंभवम् // नमामि / शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम् // 2 // क्षीरसिन्धुसमुत्पन्नो रोहिणीसहितः प्रभुः॥ हरस्य मुकुटावास बालचन्द्र नमोस्तु ते // 3 // सुधामया यत्किरणाः पोषयंत्योषधीवनम् // सर्वान्नरसहेतुं तं नमामि सिंधुनन्दनम् // 4 // राकेशं तारकेशं च रोहिणी प्रियसुन्दरम् // ध्यायतां सर्वदोपन्नं नमामीन्दुं मुहुर्मुहुः // 5 // इति चन्द्रमस्स्तोत्रं संपूर्णम् // अथ धनपुत्रादिप्रदमंगलमंत्र विधानम् // ( मंत्रमहोदधौ ) // मंत्री यथा--"ॐ हाँ हंसः खं खः" इति षडक्षरो मन्त्रः / अस्य विधानम् // मार्गशीर्ष वैशाखे जवा शुक्रपक्षे चंद्रतारादिबलान्विते भौमवासरे व्रतं प्रगृह्य वक्ष्यमाणविधिना संवत्सरपर्यतं कार्यम् // तद्यथा--मंगलवारे अरुणोदयवेला | १-घियविद्यामालिनिचंद्रिणिचंद्र मुखिस्वाहेति विद्यामंत्रः // For Private And Personal Use Only