________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsus Gyarmande म०म० // 292 // कि नमः॥४॥ॐ सौं कनिष्ठिकात्यां नमः // 5 // ॐ मः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः // 6 // इति करन्यासः // ॐ सां हृदयाय च पू० स०१ नमः॥१॥ ॐ सी शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ ह् शिखायै वषट् // 3 // ॐ मैं कवचाय हुम् // 4 // सौं नेत्रत्रयाय वौषट्॥ 5 // मित ॐ सः अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // एवं न्यासविधि कत्वा ध्यायेत् // कर्पूरस्फटिकावदातमनिशं पूर्णेन्दुबिंबाननं तरं० 11 मुक्तादामविभूषितेन वपुपा निर्मूलयंतं तमः // हस्तान्यां कुमुदं वरं च दधतं नीलालकोद्भासितं स्वस्यांकस्थभृगदिताश्रयगुणं सोमं सुधाब्धिं भजे // 1 // इति ध्यात्वा सर्वतोभद्रसोमतोभद्रमंडले वा में मंडूकादिसोमांतपीठदेवताः संस्थाप्य 'ॐ में मंडूका है। दिसोमांतपीठदेवताभ्यो नमः // ' इति पीठदेवताः संपूज्य तन्मध्ये "ॐ सों सोमाय रोहिणीपतये नमः " इति संपूज्य , रोप्यादिनिर्मितं यंत्रमग्युत्तारणपूर्वकं “सौं सर्वशक्तिकमलासनाय नमः” इति मंत्रेण पुष्पाद्यासनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्राणप्रतिष्ठां कृत्वा पुनर्व्यात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्यावाहनादिपुष्पांतैरुपचारैः संपूज्य देवाज्ञां गृहीत्वावरणपूजां कुर्यात् // तत्र क्रमः // षट्कोणकेसरेषु अग्निकोणे / ॐ सां हृदयाय नमः // 1 // नितिकोणे / ॐ सी शिरसे स्वाहा // 2 // वायव्ये / ॐ सू शिखायै वर्षट् // 3 // ऐशान्ये / ॐ मैं कवचायहुम् // 4 // पूज्यपूजकयोर्मध्ये ॐ सौं नेत्रत्रयाय / वाषट् // 5 // देवतापश्चिमे / ॐ मः अस्त्राय फर्स्ट // 6 // इति षडंगानि पूजयेत् // ततः पुष्पांजलिमादाय मूलमुच्चार्य " ॐ अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल // भक्त्या समर्पये तुल्यं प्रथमावरणार्चनम् // 1 // " इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्तपिताः संतु इति वदेत् // इति प्रथमावरणम् // 3 // ततोऽष्टदले पूज्यपूजकयोर्मध्ये प्राची तदनुसारेण अन्या दिशः प्रकल्प्य प्राचीक्रमेण है। 600060 For Private And Personal Use Only