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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अथ कुबेरपूजनयन्त्रम्। मित तरं. 11 म० म०पांजलिमादाय “ॐ संविन्मयः परो देवः परामृतरसप्रियः / अनुज्ञा ॥२९॥षादेहि धनद परिवारार्चनाय मे // 1 // " इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्वा पजितास्तार्पताः संतु इति वदेत् // इत्याज्ञां गृहीत्वावरणपूजामारभेत् // तद्यथा--षट्कोणकेमरेषु आगेय्यादिचतुर्दिक्षु मध्ये दिक्षु च ॐ यक्षाय हृदयाय नमः / हृदयश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः / इति सर्वत्र // 1 // ॐ कुबेराय शिरसे स्वाहा / शिरःश्रीपा० // 2 // ॐ वैश्रवणाय शिखायै वषट् / शिखाश्रीपा० // 3 // ॐ धनधान्याधिपतये कवचार्यहुम् / कवचश्रीपा० // 4 // ॐ धनधान्यसमृद्धिं मे नेत्रत्रयाय वौषट् / नेत्रश्रीपा० // 5 // ॐ देहि दापय स्वाहा अस्वाय फट / अस्वश्रीपा० // 6 // इति षडंगानि पूजयेत् // ततः पुष्पांजलिमादाय मूलमुच्चार्य "अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल // भक्त्या समर्पये तुभ्य प्रथमावरणार्चनम्॥१॥इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्तर्पिताः संतु इति वदेत्॥इति प्रथमावरणम॥३॥ततो भपरे इन्द्रादिदशदिक्पालान पक्षायक 39 For Private And Personal Use Only
SR No.020472
Book TitleMantra Maharnav
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages682
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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