________________ www.kobatrm.org Acharya Sh Kalassagarsun Gyanmandr Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra अथ कुबेरमंत्रप्रयोगः // (मंत्रमहोदधौ / ) मंत्रो यथा--"ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा” इति पंचत्रिंशदक्षरो मंत्रः॥ अस्य विधानम् // अस्य कुबेरमंत्रस्य विश्रवा ऋषिः।बृहतीछंदः। शिवमित्रधनेश्वरो देवता।। ममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः // ॐ विश्रवऋषये नमः / शिरमि // 3 // बृहतीछंदसे नमः / मुखे // 2 // शिवमित्रधनेश्वरदेव तायै नमः। हृदि॥३॥विनियोगाय नमः / सर्वांगे // 4 // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ यक्षाय हृदयाय नमः॥१॥ ॐ कुबेराय शिरसे स्वाहा ॥२॥ॐ वैश्रवणाय शिखायै वषट् // 3 // ॐ धनधान्याधिपतये कवचाय हुम् // 4 // ॐ धनधान्यसमृद्धिं मे नेत्रत्र याय वौषट् // 5 // ॐ देहि दापय स्वाहा अवाय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // ॐ यक्षायांगुष्ठाभ्यां नमः // 1 // ॐ कुबेराय तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ वैश्रवणाय मध्यमाभ्यां नमः // 3 // ॐ धनधान्याधिपतये अनामिकाभ्यां नमः // 4 // ॐ धनधान्यसमृद्धिं मे कनिष्ठिकाायां नमः // 5 // ॐ देहि दापय स्वाहा करतलकरपृष्ठान्यां नमः॥ 6 // इति करन्यासः // इति न्या घसं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् // " मनुजबाह्यविमानवरस्थितं गरुडरत्ननिभं निधिनायकम् // शिवसखं मुकुटादिविभूषितं वरगदे दधतं भज तुंदिलम् // 1 // इति ध्यात्वा मानमोपचारैः पूजयेत् // ततः पीठादौ रचिते सर्वतोभद्रमंडले धर्मादिपरतत्त्वांत | पीठदेवताः संस्थाप्य "ॐ धर्मादिपरतत्त्वांतपीठदेवताभ्यो नमः” इति पीठदेवताः संपूज्यास्य पीठशक्त्यादेरभावः // ततः स्वर्णादिनि मित यंत्रं मूर्ति वा ताम्रपाने निधाय घृतेनात्यज्य तदुपरि दुग्धधारां जलधारां च दत्त्वा स्वच्छक्वेण संशोष्य पुष्पाद्यासनं दत्त्वा पीठ मध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कृत्वा पुनर्व्यात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्यावाहनादिपुष्पांतरुपचारैः संपूज्य देवाज्ञयावरणपूजां कुर्यात् // तद्यथा For Private And Personal Use Only