________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir वाग्धंसतारैर्जन सहस्रं पयसा मनुम् // अभिषिंचते बागायैरभिषेकोयमीरितः // 449 // षष्ठं विमलीकरणमाह // हरिवह्नयन्वितस्ता रो बपडतो ध्रुवादिकः // सहस्रं तत्पुटो जप्यो विमलीकरणे मनुः // 450 // (सप्तमं जीवनमाह ) स्वधावपट्पुटं जप्यात्सहस्र जीवने मनुम् // ( अटमंतपर्णमाह ) क्षीराज्ययुक्तपाथोभिस्तपणे तर्पयेन्मनुम् // 451 // (नवमं गोपनमाह ) जपेन्मायापुटं मंत्रं सहस्रं गोपनं / हितम् // (दशममाप्यायनमाह ) बाला तातीयबीजेन गगनाद्येन संपुटम् // सहस्रं प्रजपेन्मंत्रमेतदाप्यायनं मतम् // 452 // संस्कारदशकं प्रोक्तं मनूनां दोषनाशकम् // 453 // ( अथ शारदातिलकोक्ता दश संस्काराः) कर्मण्यतिजडा मंत्रा मंत्रिणां योजिता अपि // तस्मात्तद्दोपनाशाय कर्तव्याः संस्क्रिया दश // 454 // मंत्राणां दश संस्काराः कथ्यन्ते सिद्धिदायिनः // जननं जीवनं d पश्चात्नाडनं बोधनं तथा // 455 // अथाभिषेको विमलीकरणाप्यायनेपुनः // तर्पणं दीपनं गुप्तिश्चैताः स्युर्मत्रसंस्क्रियाः॥४५६॥ (जननमाह ) मंत्राणां मातृकामध्यादुद्धारो जननं स्मृतम् // 457 // (जीवनमाह ) प्रणवांतरितान्कत्वा मंत्रवर्णाजपेत्सुधीः // all तज्जीवनमित्याहुमैत्रतंत्रविशारदाः // 458 // (ताडनमाह ) मंत्रवर्णान्समालिख्य ताडयेच्चन्दनाम्भसा / / प्रत्येकं वायुना मंत्री ताडनं थे तदुदाहृतम् // 459 // ( बोधनमाह ) विलिख्य मंत्र तं मंत्री प्रसूनैः करवीरजैः // तन्मंत्राक्षरसंख्यातैर्हन्याद्रेफेन बोधनम् // 460 // Jail(अभिषेकमाह ) स्वतन्त्रोक्तविधानेन मंत्री मंत्रार्णसंख्यया // अश्वत्थपल्लवैर्मत्रमभिषिचेद्विशुद्धये // 461 // (विमलीकरणमाह ) सचिंत्य मनसा मंत्र ज्योतिर्मत्रेण निदेहेत् // मंत्रे मलत्रयं मंत्री विमलीकरणं त्विदम् // 462 // (आप्यायनमाह) तारं व्योमाग्नि अनुयुग्दंडी ज्योतिर्मनुर्मतः // कुशोदकेन जप्तेन प्रत्यर्णप्रोक्षणं मनोः // तेन मंत्रण विधिवदेतदाप्यायनं मतम् // 463 // (तर्पणमाह ) For Private And Personal Use Only