________________ Sha ran Aradhana Kendra me.kobarmarg Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir भूताध्यक्षो भूतिधरो भूतभीतिनिवारणः॥ 12 // कलंकहीनः कंकाली क्रूरः कुक्कुरखाहनः // गाढो गहनगंभीरो गणनाथसहोदरः॥ // 13 // देवीपुत्रो दिव्यमूर्तिीतिमान् दीतिलोचनः // महासेनप्रियकरो मान्यो माधवमातुलः // 14 // भद्रकालीपतिद्रो भद्रदो। भद्रवाहनः॥ पशूपहाररसिकः पाशी पशुपतिः पतिः // 15 // चंडः प्रचंडचंडेशश्चंडीहृदयनंदनः // दक्षो दक्षाध्वरहरो दिग्वासा दीर्घ लोचनः॥ 16 // निरातको निर्विकल्पः कल्पः कल्पांतभैरवः // मदतांडवकन्मत्तो महादेवप्रियो महान् // 17 // खटांगपाणिः खातीतः खरशूलः खरांतकृत् // ब्रह्मांडभेदनो ब्रह्मज्ञानी ब्राह्मणपालकः॥ 18 // दिक्चरो भूचरो भूष्णुः खचरो खेलनप्रियः / सर्व दुष्टप्रहर्ता च सर्वरोगनिषूदनः / / 19 // सर्वकामप्रदः सर्वः सर्वपापनि रतनः // इत्थमष्टोत्तरशतं नाम्नां सर्वसमृद्धिदम् // 20 // आप द्धारजनक बटुकस्य प्रकीर्तितम् // एतच्च शृणुयान्नित्य लिखेवा स्थापयगृहे // 21 // धारयेद्वा गले बाहौ तस्य सर्वाः समृद्धयः॥ न तस्य दुरितं किंचिन्न चोरनृपजं भयम् // 22 // न चापस्मृतिरोगेन्यो डाकिनीन्यो भयं नहि // न कूष्मांडग्रहादियो नापमृत्योर्न च ज्वरात् // 23 // मासमेकं त्रिसंध्यं च शुचिर्भूत्वा पठेन्नरः // सर्वदारियनिर्मुक्तो निधि पश्यति भूतले // 24 // मासयमधीयानः पादुकासिद्धिमान् भवेत् // अंजनं गुटिकाखड्गं धातुवादरसायनम् // 25 // सारस्वतं च वेतालवाहनं बिलसाधनम् // कार्यसिद्धिं / महासिद्धि मंत्रं चैव समीहितम् // 26 // वर्षमात्रमधीयानः प्राप्नुयात्साधकोत्तमः // एतने कथितं देवि गुरागृह्यतरं परम्॥२७॥ कालसंकर्षणीतंत्रे कल्मीकल्मषनाशनम् // नरनारीनृपाणां च वशीकरणमंबिके // 28 // इति कालसंकर्षणतंत्रो वक्तवटु काष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् // इति श्रीमंत्रमहार्णवे पूर्वखण्डे वटुकभैरवतंत्रे दशमस्तरंगः // 10 // // 7 // For Private And Personal Use Only