________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म 2 नां०१० दुद्धारकबटुकभैरवो देवता / ह्रीं बीजम् / भैरवीवल्लभः शक्तिः। नीलवर्णो दंडपणिरिति कीलकम् / समस्तशत्रुदमने समस्तापन्निवारणेस र्वाभीष्टप्रदाने च विनियोगः // ॐ कालानिरुद्रऋषये नमः / शिरसि // 1 // अनुष्टुप्छंदसे नमः मुखे // 2 // आपदुद्धारकवटुको खदेवतायै नमः / हृदये // 3 // ह्रीं बीजाय नमः / गुह्ये // 4 // भैरवीवल्लभशक्तये नमः / पादयोः // 5 // नीलवर्णो दंडपाणे रिति कीलकाय नमः नाभौ // 6 // विनियोगाय नमः सर्वांगे // 7 // इति ऋष्यादिन्यासः // अथ मूलमंत्रः // "ॐ ह्रीं वां वटु काय झौं क्षौं आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय हां बटुकाय स्वाहा // " इति मूलमंत्रः // अथ ध्यानम् // नीलजीमूतसंकाशो जटिलो रक्तलोचनः // दंष्ट्राकरालवदनः सर्वयज्ञोपवीतिवान् // 1 // दंष्ट्रायुधालंकृतश्च कपालस्रग्विभूषितः // हस्तन्यस्तकिरीटीको भस्मभूषितविग्रहः // 2 // नागराजकटीसूत्रो बालमूर्तिदिगंबरः॥ मंजुसिंजानमंजीरपादकंपितभूतलः // 3 // भूतप्रेतपिशाचैश्च सर्व | तः परिवारितः॥ योगिनीचकमध्यस्थो मातृमंडलवेष्टितः॥ 4 // अट्टहासस्फुरद्वको भृकुटीभीषणाननः // भक्तसंरक्षणार्थाय दिक्षु / भ्रमणतत्परः // एवंभूतस्तु वटुको ध्यातव्यो भैरवीश्वरः॥५॥एवं ध्यात्वा स्तोत्रं पठेत् // ॐ ह्रीं-बटुको वरदः शूरो भैरवः कालभैरवः॥ भैरवीवल्लभो भव्यो दंडपाणिर्दयानिधिः // 6 // बेतालवाहनो रौद्रो रुद्रभ्रुकुटिसंभवः॥ कपाललोचनः कांतः कामिनीवशकदशी // 7 // आपदुद्धारणो धीरो हरिणांकशिरोमणिः // दंष्ट्राकरालो दष्टोष्ठो धृष्टो दुष्टनिबर्हणः // 8 // सर्पहारः सर्वशिरः सर्पकुंडलमंडितः / / क पाली करुणापूर्णः कपालैकशिरोमणिः // 9 // श्मशानवासी मांसाशी मधुमत्तोट्टहासवान् // वाग्मीवामवतोवाग्मीवामदेवप्रियंकरः // |॥१०॥बनेचरोरात्रिचरो वसुदो वायुवेगवान् // योगी योगवतधरो योगिनीवल्लभो युवा॥११॥वीरभद्रो विश्वनाथो विजेता वीरवंदितः॥ For Private And Personal Use Only