________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म० पू.वं.। भै. तं० तरं० 10 वटुकश्चन्द्रशेखरः॥५॥ आपदुद्धारणो देवः भैरवः परिकीर्तितः // प्रवक्ष्यामि समासेन चतुर्वर्गप्रसिद्धये // 6 // प्रणवं कामदं विद्याल्ल जाबीजं च सिद्धिदम् // वटुकायेति विज्ञेयं महापातकनाशनम् // 7 // आपदुद्धारणायेति त्वापदुद्धारणं नृणाम् // कुरु द्वयं महेशानि मोहने परिकीर्तितम् // 8 // वटुकाय महेशानि स्तंभने परिकीर्तितम् // लज्जाबीजं तथा विद्यान्मुक्निदं परिकीर्तितम् // 9 // द्वाविंश त्यक्षरो मंत्रः क्रमेण जगदीश्वरि // " पाठः // ॐ अस्य श्रीवटुकभैरवब्रह्मकवचस्य भैरव ऋषिः / अनुष्टुप्छंदः / श्रीवटुकभैरवो देवता। मम बटुकभैरवप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥ ॐ पातु नित्यं शिरशि पातु ह्रीं कंठदेशके ॥१०॥वटुकाय पातु नाभौ चापदुद्धारणाय च॥ कुरु द्वयं लिंगमूले त्वाधारे बटुकाय च // 11 // सर्वदा पातु ह्रीं बीज बाह्वोर्युगलमेव च॥ पडंगसहितो देवो नित्यं रक्षतु भैरवः॥ // 12 // ॐ ह्रीं वटुकाय सततं सर्वांगं मम सर्वदा // ॐ ह्रीं पादौ महाकालः पातु वीरासनो हृदि // 13 // ॐ ह्रीं कालः शिरः पातु कंठदेशे तु भैरवः // गणराट् पातु जिह्वायामष्टभिः शक्तिभिः मह // 14 // ॐ ह्रीं दंडपागिर्गुह्यमूले भैग्वीसहितस्तथा // ॐ ह्रीं विश्व नाथः सदा पातु सर्वांगं मम सर्वदः // 15 // ॐ ह्रीं अन्नपूर्णा सदा पातु चांसौ रक्षतु चंडिका // असितांगः शिरः पातु ललाटं| रुरुभैरवः // 16 // ॐ ह्रीं चंडरवः पातु वक्त्रं कंठं श्रीक्रोधभैरवः।। उन्मत्तौरवः पातु हृदयं मम सर्वदा // 17 // ॐ ह्रीं नाभिदेश कपाली च लिंगे भीषणभैरवः // संहारभैरवः पातु मूलाधारं च सर्वदा // 18 // ॐ ह्रीं बाहुयुग्मं सदा पातु जैरवो मम केवलम् // हंसबीजं पातु हृदि सोहं रक्षतु पादयोः॥१९॥ॐ ह्रीं प्राणापानौ समानं च उदानं व्यानमेव च / / रक्षतु द्वारमूले च दशदिक्षु समंततः। // 20 // ॐ ह्री प्रणवं पातु सर्वांगं लज्जाबीजं महानये // इति श्रीब्रह्मकवचं भैरवस्य प्रकीर्तितम् // 21 // चतुवर्गप्रदं नित्यं स्वयंदेव For Private And Personal Use Only