________________ Shri Mahir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailasagasun Gyanmandir प्रकाशितम् // यः पठेच्छृणुयान्नित्यं धारयेत्कवचोनमम् // 22 // सदानंदमयो भूत्वा लभते परमं पदम् // य इदं कवचं देवि चिन्त येन्मन्मुखोदतम् // 23 // कोटिजन्मार्जितं पापं विनश्यति च तत्क्षणात् // जलमध्येऽमिमध्ये वा दुर्घहे शत्रुसंकटे // 24 // कव चस्मरणाद्देवि सर्वत्र विजयी भवेत् // भक्तियुक्तेन मनसा कवचं पूजयेद्यदि // 25 // कामतुल्यस्तु नारीणां रिपूणां च यमोपमः // तस्य पादांबुजवं राज्ञां मुकूटभूषणम् // 26 // तस्य भूतिं विलोक्यैव कुबेरोपि तिरस्कृतः॥ यस्य विज्ञानमात्रैण मंत्रसिद्धिर्न संशयः // 27 // इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेवटुकं नरः // न चामोति फलं तस्य परं नरकमानुयात् // 28 // मन्वंतरत्रयं स्थित्वा / | तिर्यग्योनिषु जायते // इह लोके महारोगी दारिद्रयेणातिपीडितः // 22 // शत्रूणां वशगो भूत्वा करपात्री भवेजडः // देयं पुत्राय शिष्याय शांताय प्रियवादिने // 30 // कार्पण्यरहितायालं वटुभक्तिरताय च।। योपरागे प्रदाता वै तस्यस्याति सत्वरम् // 31 आयुर्विया / यशो धर्म बलं चैव न संशयः // इति ते कथितं देवि गोपनीय स्वयोनिवत्॥३२॥ इति श्रीरुद्रयामलोक्तं श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचं संपूर्णम्॥ श्रीगणेशाय नमः // अथ श्रीवटुकभैरवसहस्रनामस्तोत्रं (रुद्रयामले) / / ॐ अस्य श्रीबटुकभैरवसहस्रनामात्मकस्तोत्रस्य दुर्वासा ऋषिः / / / अनुष्टुप् छंदः // भैरवो बटुकनाथो देवता // मम सर्वकार्यसिद्ध्यर्थं सर्वशत्रुनिवारणार्थ बटुकसहस्त्रनामपाठे विनियोगः // ॐ 1 महाकालोस्य ऋषिरिति रुद्रजापे / 1 दत्तात्रेय ऋषिरिति ब्रह्मजापे / 1 गौतमऋषिरिति गौतमी तंत्रे / 1 रावणास्य ऋषिरिति भैरवीतंत्रे / 1 हनुमान पिरिति भैरवतंत्रे / 1 निर्गुणो बटुकः सनकादय ऋषर इति मोक्षपटले / 1 महाविष्णुः श्रीकृष्ण ऋषिरिति विष्णुयामले / पर्व कार्यपरत्वे यथारुचि पाठे ऋषिस्मरणं कृत्वा स्तोत्रं पठेत् / For Private And Personal Use Only