________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir पंचोपचारैः संपूज्य पुष्पांजलिं च दत्वा जपं देवापणं कुर्यात् // तद्यथा-अर्घोदकेन चुलुकमादाय "ॐ गुह्यातिगुह्यगोप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् // सिद्धिर्भवतु मे देव त्वत्प्रसादात्त्वयि स्थितिः // 1 // " ॐ इतः पूर्व प्राणबुद्धिदेहधर्माधिकारतो जाग्रत्स्वमसुषुप्तितुर्यावस्थासु मनसा वाचा कर्मणा हस्तान्यां पदल्यामुदरेण शिश्ना यत्स्मृतं यदुक्तं यत्कृतं तत्सर्व ब्रह्मार्पणं भवतु स्वाहा // मदीयं च सकलं श्रीमद्बटुकभैरवदेवतायै समर्पयामि नमः // “ॐ तत्सदिति ब्रह्मार्पणं भवतु // इति देवदक्षिणकरे जपसमर्पणजलं दत्त्वा कृतांजलिपूर्वकं क्षमापनं पठेत् // अथ क्षमापनम्॥"आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् // पजानागं न जानामि त्वं गतिः परमेश्वर // 1 // मंत्रहीन क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर // यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे // 2 // पायदक्षरपदावष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत् // तत्सर्व क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर // 3 // कर्मणा मनसा वाचा त्वनो नान्या गतिर्मम // अन्तश्चरेण भूतानि इष्टस्त्वं परमेश्वर // 4 // अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम // तस्मात्कारुण्यभावेन रक्षस्व परमेश्वर // 5 // प्रातयोंनिसहस्राणां सहस्रेषु व्रजाम्यहम् // तेषु तेष्वचला भक्तिरच्युतेस्तु सदा त्वयि // 6 // गतं पापं गतं दुःखं गतं दारियमेव च // आगता मुखसंपनिः पुण्या च तव दर्शनात् // 7 // देवो दाता च भोक्ता च देवरूपमिदं जगत् // देवो जयति सर्वत्र यो देवः सोहमेव हि // 8 // क्षमस्व देवदेवेश क्षम्यते भुवनेश्वर॥ तव पादांबुजे नित्यं निश्चला भक्तिरस्तु मे // 9 // " इति कतांजलिः प्रार्थयित्वा ततः शंखमुद्धत्य देवोपरि चामयित्वा “साधु वासाधु वा कर्म यद्यदाचरितं मया // तत्सर्व रुपया देव गृहाणारा For Private And Personal Use Only