________________ Shiv a Aradhana Kendra www.kabatin.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir देववामतः सांबकलशस्थापनोक्तविधिना शंख संस्थाप्य गंधादिभिः संपूज्यानिमंत्रयेत् / नत्र मंत्रः // " ॐ शंखादी चन्द्रदेवत्यं कक्षो / वरुणदेवता // पृष्ठे प्रजापतिश्चैवमये गंगा सरस्वती // 1 // त्रैलोक्ये यानि तीर्थानि वासुदेवस्य चाजया // शंखे तिष्टंति विप्रेन्द्र त स्माच्छंखं प्रपूजयेत // 2 // " इत्यभिमंत्र्य प्रार्थयेत् // तत्र मंत्रः॥ ॐ वं पुरा मागरोलन्नो विष्णुना विधृतः करे // निर्मितः सर्वदेवश्च / / पांचजन्य नमोस्तु ते // 1 // " इति संपार्थ्य / " ॐ पांचजन्याय विद्महे पावमानाय धीमहि // तन्नः शंखः प्रचोदयात // " इत्यष्टया| जपित्वा शंखमद्रां प्रदर्शयेत् // इति शंखस्थापनम् // अथ विशेषाघस्थापनम् // आत्मश्रीचक्रयोर्मध्ये स्वपुरतः मांबकलशोतविधिना। विशेषार्घपदमचरन विशेषार्घ संस्थाप्याभिमंत्रयेत // तत्र मंत्रः // "ॐ की सी ब्रह्माण्डपण्डसंभतमशेषरममंभवम् // आपरित। महापात्रं पीयपरसमावह // 1 // अखंडेकरमानंदकलेवरसुधात्मनि // स्वच्छंदस्फुरणान्मंत्रान्निधेह्यकुलरुपिणी // 2 // की अकुलस्था। मृताकारे सिद्धज्ञानकलेवरे // अमृतत्वं निधेह्यस्मिन्वस्तुनि किन्नरूपिणी // 3 // सौः तद्रूपेणेकरस्यं च कृत्वास्यैतत्स्वरुपिणी // भ त्वा पराभूताकारं मयि विस्फुरणं कुरु // 4 // अनेन मंत्रेणार्यमतिमंध्य पूर्ववत पंचरत्नानि पूजयेत।। इति विशेषर्घस्थापनम्॥इति वि | शेषाय स्थापयित्वा देवदक्षिणतः प्रोक्षणीपात्रमेवमेवविधिना स्थापयेत्॥ इति त्रिरयस्थापनम् ॥३॥ततो विशेषार्धाद्वामतः श्रीपात्रं 1 गुरुपात्रं 2 भरवपात्रं शक्तिपात्रं 4 योगिनीपात्रं 5 भोगपात्रं 6 वीरपात्रं 7 आत्मपात्रं 8 बलिपात्र 9 एतानि नव पात्राणि दक्षिणे 1 वामे शंख प्रतिष्ठाप्य मध्ये चाय प्रकल्पयेत्॥ दक्षिणे प्रोक्षणीपात्रम त्रयविकसने // दृष्ट्वा पात्रं देवेशि ब्रह्माया देवताः सदा / / नृत्यति सर्वयोगिन्यः प्रीताः। तसिदि ददत्यपि // आदौ कुंभ तथा शंख श्रीपावं शक्तिपात्रकम् // गुरुपात्रं वीरपात्र बलिपात्र तथैव च। -09-3050 For Private And Personal Use Only