________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मै० म० यजेत् // तद्यथा / यं धूम्रार्चिषे नमः // 3 // रं ऊष्माय नमः // 2 // लं ज्वलिन्यै नमः // 3 // वं ज्वालिन्यै नमः // 4 // शं पं०खं०१ विस्फुलिंगिन्यै नमः // 5 // सुश्रियै नमः ॥६॥सं सुरूपायै नमः ॥७॥हं कपिलारे नमः // 8 // लं हव्यवाहायै नमः // 9 // शं कव्यवाहायै नमः॥१०॥इति पूजयेत् // ततो मूलेनास्त्राय फट / / इति कलशं प्रक्षाल्य आधारोपरि हस्तव्येन संस्थाप्य रक्तवस्वमाल्या दिभिभूषयित्वा ततो द्वितीयकूटमञ्चार्य "ॐ अर्थप्रदवादशकलाव्यामात्मने मूर्यमंडलाय नमः" इति कलशं संपूज्य नद्राह्ये पूर्वादिषु मूर्यस्य द्वादश कलाः पूजयेत्। तद्यथा / ॐ कं भं तपिन्यै नमः॥1॥ ॐ खं बं तापिन्यै नमः॥२॥ ॐ गं फं धूम्राय नमः॥३॥ ॐ घं पं मरीच्यै नमः॥४॥ ॐ डं नं ज्वालिन्यै नमः ॥१॥ॐ चं धं रुच्यै नमः // 6 // छं दं सुषुम्णायै नमः॥७॥ॐ जं थं भोगदायै नमः। // 8 // ॐ झंत विश्वाय नमः // 9 // ॐ जेणं बोधिन्यै नमः // 10 // ॐ टं टुं धारिण्यै नमः // 11 // ॐ ठंडं क्षमायै नमः N // 12 // इति पूजयेत् // ततः शुद्धोदकेन मुखपर्यंत घटमापूर्य " ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावार मरस्वति // नर्मदे मिंधु कावेरि जलेऽस्मिन्सन्निधिं कुरु" इति तीर्थान्यावाह्य ततस्तृतीयकूटमुच्चार्य "ॐ कामप्रदषोडशकलाव्यामात्मने सोममंडलाय नमः" इति जले / पूजयित्वा पूर्वादिषु पोडश सोमकला यजेत् / तद्यथा-ॐ अं अमृतायै नमः // 1 // ॐ आं मानदायै नमः // 2 // ॐ इं पृषार्थ नमः // 3 // ॐ ई तुष्टयै नमः // 4 // ॐ उं पुष्टयै नमः // 5 // ॐ ॐ रत्यै नमः // 6 // ॐ ॐ धृत्यै नमः // 7 // ॐ | शशिन्यै नमः // ८॥ॐलं चन्द्रिकायै नमः // 1 // ॐलं कात्यै नमः // 10 // ॐएं ज्योत्स्नायै नमः // 11 // ॐ श्रियै नमः // 12 // ॐ ओं प्रीत्यै नमः / / 13 // ॐ औं अंगदायै नमः // 14 // ॐ अं पूर्गायै नमः // 15 // ॐ अः। 8 // 259 // For Private And Personal Use Only