________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir पूर्णामृतायै नमः // 16 // इति पूजयित्वा देवं ध्यायेत् // इति साम्बकलशस्थापनम् // 1 // अथ सुधाकुंभस्थापनम् // स्वाम त्रिकोणं षट्कोणं वृत्तं चतुरस्र मंडलं कृत्वा शंखमुद्रया मंडलं स्पर्शयेत्। नतस्त्रिकोणांतरमयं बिलिख्य त्रिकोणेषु कूदत्रयं पूजयेत्। तद्यथा-- अग्निकोणे प्रथमकूटं दक्षिणकोणे द्वितीयकूटं वामकोणे तृतीयकूटं च पूजयेत॥ततः पदकोणेषु अग्निकोणे हृदयशक्तियां नमः। ऐशान्ये ॐ शिरःशक्तियां नमः।वायव्ये-शिखाशक्तियां नमःनिऋते-कवचशक्तियां नमःपूर्व-नेत्रशक्तियानमः।पश्चिमे-अश्वशक्तियां नमः इति| षडंगानि गंधपुष्पास्यां संपूज्य षट्कोणादहिवतुले अकारादिक्षकारांतं मातृकां संपूजयत॥ततो बर्तुलादहिश्चतरने पूर्वद्वारे उद्यानपीठाय नमः। दक्षिणद्वारे। जालंधरपाठाय नमः / पश्चिमद्वारे। पूर्णगिरिपीठाय नमः / उत्तरद्वारे / कामगिरिपीठाय नमः।। इति चतुःपीठानि गंधपुष्पान्या संपूज्य त्रिकोणमध्ये 'ॐ ह्रीं आधारशक्तिभ्यो नमः' इत्याधारशक्तीः पूजयेत्॥ततो 'मूलेन नमः' इति मंत्रणाधारद्रव्यं प्रक्षाल्य मंडलोपरि संस्थाप्य ततः प्रथमकूटमुच्चार्य ॐ धर्मप्रददशकलाव्यानात्मने वह्निमंडलाय नमः इति संपूज्य पूर्वादिषु दश वह्निकला यजेत् / तथा च ॐ यं धूम्रार्चिषे नमः // 1 // ॐ रं ऊष्माय नमः // 2 // ॐ लं ज्वलिन्यै नमः // 3 // ॐ वं ग्वालिन्यै नमः॥ 4 // ॐ विस्फुलिंग्यै नमः // 5 // ॐ पं सुश्रियै नमः // 6 // ॐ सं सुरूपायै नमः // 7 // ॐ हं कपिलायै नमः // 8 // ॐ लं हन्यवा हायै नमः // 1 // ॐ शं कव्यवाहायै नमः // 10 // इति पूजयेत् // ततः मूलेनास्त्राय फट् इति मंत्रण कलशं प्रक्षाल्य रक्तवस्त्र माल्यादिभिभूषयित्वा रत्नखचितं तत्पात्रं त्रिपदाधारोपरि हस्तव्येन संस्थाप्य द्वितीयकूटमुच्चार्य ॐ अर्थप्रदद्वादशकलाव्यातात्मने For Private And Personal Use Only