________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir अथ भूमिप्रार्थनामंत्रः // " समुद्रमेखले देवि पर्वतस्तनमंडले // विष्णुपनि नमस्तुत्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे // 1 // " इति भूमि संप्रार्थ्यपू० खं.. श्वासानुसारेण भूमौ पादं दत्त्वा बहिबजेत् // इति प्रातःकृत्यम् // अथ शौचक्रिया // ततो यामादहिः नैऋत्यकोणे जनवर्जिते उत्तराभतं. निमुखः अनुपानकः वस्त्रेण शिरः प्रावृत्य मलमोचनं कृत्वा / / मृत्तिकया जलेन यथासंख्यं शौचं कृत्वा हस्तौ पादौ प्रक्षाल्य गंडूपांतं दंत तरं० 10 धावनं कुर्यात् // अथ देंतधावनम् // आम्रचंपकापामार्गाद्यन्यतमं द्वादशांगुलं दंतकाष्ठं गृहीत्वा प्रार्थयेत्॥ "आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजा पशुधनानि च // श्रियं प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते // 3 // " इति पार्य “ॐ ह्रीं तडित्स्वाहा // " इति मंत्रेण काष्ठं छित्त्वा / "ॐ क्लीं कामदेवाय सर्वजनप्रियाय नमः // " इत्यनेन दंतान संशोध्य " मंत्रण जिह्वामुल्लिख्य दंतकाष्ठं क्षालयित्वा नैऋत्ये शुद्धदेशे निःक्षिपेत् / / मलेन मुखं प्रक्षाल्याचम्य स्नानं कुर्यात् // अथ स्नानम् // ततः तीर्थस्नानं मंगलनानं च सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेण कृत्वा | अशक्तोट् गृहस्नानं कुर्यात् // तत्र कमः // तात्कालिकोद्धृतोदकेनोष्णोदकेन वा स्नानं कृत्वा न तु पर्युषितशीतोदकेन तद्यथा // ता. वादिबृहत्पात्रे जलं गृहीत्वा तीर्थान्यावाहयेत् // तत्र मंत्रः // " ब्रह्मांडोदरतीर्थानि करैः स्पृष्टानि ते रखे // तेन सत्येन मे देव तीर्थ | देहि दिवाकर // 1 // ॐ पुष्कराद्यानि तीर्थानि गंगाद्याः मरितस्तथा // आगच्छन्तु पवित्राणि स्नानकाले सदा मम // 2 // " इति तीर्थान्यावाह्य // " गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति // नर्मदे सिंधुकावेरि जलेस्मिन्सन्निधिं कुरु // 3 // " इति पठित्वा "ऋतं च सत्यं०" इति मंत्रेणाभिमंत्र्य स्नायातं // एवं स्नानं कृत्वा शुष्क शुलं कर्पासोत्पन्नं वयं परिधाय सूर्यायायं दद्यात् // तत्र मंत्रः // "एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते // अनुकंपय मां देव गृहाणार्य नमोस्तु ते // " इत्ययं दत्त्वा नायिवस्त्रं पारिपीड्य यज्ञोत्थ For Private And Personal Use Only