________________ She avrain Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir मं० म० तनोतु मम कल्याणं पावनी भक्तिरस्तु मे / / 336 // एवं सम्प्रार्थ्य देवेशं कर्पूरागरुचन्दनैः // विलोमं विलिखेन्मत्रं ताडपत्रे तदर्चयेत् / 01 प्र० 1 // 337 // प्रबध्य तु निजे मूर्ड्सि स्नायात्कुंभस्थितैर्जलैः॥ पुनः सम्पूर्य तत्तोयैर्न पश्येन्मंत्रपत्रकम् // 338 // सम्पूज्य कुंभसहितं तडागे लात०१ वा विनिःक्षिपेत् // विप्रान्सम्भोज्य मुच्येत पीडयासौ च मानवः॥३३९॥ अथ ऋणधनशोधनम् (मालिनीविजये ) नामाद्यक्षरमारण्य यावन्मंत्रादिवर्णकम् // कृत्वा स्वरैर्बुधो भिद्यानदन्यविपरीतकम् ॥३४॥कत्वाधिको मंत्रवर्ण ऋणी चेन्मंत्रमुत्तमम् // स्वयं ऋणी च तन्मंत्र त्यजेत्पूर्वऋणी यतः // 341 // (प्रकारांतरोपि) मंत्रसाधकनामाणः साधकस्य तथव च // अष्टभिस्तु हरेद्भागं शेषैर्ऋणधनम्भवेत // 342 // विना शुदिन जोपयेगिमंत्रः॥ येषां मनूनां सिद्धादिशोधनं नास्ति तान्ब्रुवे / एकवर्ण विवर्णों वा पंचा! रसवर्णकः॥३४३॥ सितारें नववर्गश्च रुद्राों रदनाक्षरः // अष्टा! हंसमंत्रश्च कुटो वेदोदितो ध्रुवम् // 344 // स्वमलब्धः स्त्रिया प्राप्तो माला मंत्रो नृकेसरी प्रसादो रविमंत्रश्च बाराहो मातृकाः परा // 345 // त्रिपुरा काममंत्रश्चाज्ञासिद्धः पक्षिनायकः॥बौद्धमंत्रा जैनमंत्रा नैव सिद्धादिशोधनम्॥ एतद्भिन्नेषु मन्त्रेषु शुद्धिरावश्यकी मता // 346 ॥(सिद्धसारस्वते विशेषः) नपुंसकस्य मंत्रस्य सिद्धादीन्नैव शोधयेत् // 347 // शापरहितमंत्राः // भीष्मपर्वणि या गीता सा प्रशस्ता कलौ युग // विष्णोः सहस्रनामाख्यं स्तोत्रं पापप्रणाशनम् // 348 // गजेन्द्रमोक्षणं चैव तथा कारुण्यकः स्तवः // नारसिंह तथा स्तोत्रं स्तोत्रं श्रीरामसंज्ञकम् // 349 // देव्याः सप्तशतीस्तोत्रं तथा नामसहस्रकम् // श्लोकाष्टकं नीलकंठं शैवं नामसहस्रकम् // 350 // त्रिपुरायाः प्रसादाख्यं सूर्यस्य स्तवराजकम् // पैत्रो रुचिस्तयो / जयश्च इन्द्राक्षीस्तोत्रमेव च // 351 // वैष्णवं च महालक्ष्म्याः स्तोत्रमिंद्रेण भाषितम् // भार्गवाख्येन रामेण शतान्यन्यानि कारणात For Private And Personal Use Only