________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 25 // विषभध्वज प्रार्थयेत // तंत्र मंत्रः // ॐ भगवन्देवदेवेश शुलभूट्टपवाहन // इष्टानिष्टं समाचश्य मम सनस्य शाश्वत // 1 // ॐकावं. 2 वृषभध्वज प्राथ नमोजाय त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने / वामाय विश्वरूपाय स्वभाधिपतये नमः // 2 // स्वमे कथय मे तथ्यं सर्वकार्येप्यशेषतः // तं. क्रियासिद्धिं विधास्यामि त्वत्प्रसादान्महेश्वर // 3 // " इति मंत्रणाष्टोत्तरशतवारं शिवं प्रार्य स्वान्यात // ततः स्वमं दृष्टं निशि प्रातर्मुखे तरं० 10 विनिवेदयेत् अथवा स्वयं स्वर्ण विचारयेत // ततः चंद्रतारादिबलान्यिते समुहूर्ते विधिने देशे जपस्थान प्रकल्प्य पुरश्चरणदिवसे। श्रीमान्साधकेंद्रः प्रातःकालात्पूर्व दंडद्वयात्मके ब्राह्म मुहूर्ते चोत्थाय निद्रास्थानावहिनिगन्य हस्तौ पादी प्रक्षाल्याचम्य रात्रिका परित्यज्यान्यवन परिधाय शुद्धासने चोपविश्य स्वशिरसिसहस्रदलपंकजे कोटींदुप्रकाशपीठे श्रीगुरु ध्यायेत्।। गुरुम्मरणम् / आनंदमा नंदकर प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निजबोधरूपम् // योगीन्द्रमीड्यं भवरोगवैयं श्रीमद् नित्यमहं भजामि // 1 // " इति ध्यात्या मानसोपचारः संपूज्य “प्रातः प्रभृतिसायांतं मायादिप्रातरंततः // यत्करोमि जगन्नाथ तदस्तु तब पूजनन // 1 // " इत्यनेन मंत्रण सर्व गुरुवे निवेद्य तदाज्ञां गृहीत्वा श्रीबटुकप्रातःस्मरणं कुर्यात // अथ श्रीबटुकप्रातःस्मरणम् // "प्रातः स्मरामि बटुकं सुकुमारमूर्ति श्रीस्फाटिकासमदृशं लिंग चंद्रायोविवं भारती जाह्नवीं गुरुम् // रक्ताधितरण युद्धे जयोनलसमंचनम् // शिखिइसरयांगाढये रथे स्थानं मोहनमआरोहणं सारसस्य धरा लाभश्चनिम्नागा // प्रासादः स्पंदन पन छवं कन्या द्रुमः फली नागो दीपो हयः पुष्पं वृषभोश्वश्च पर्वतः ॥सुराषटो ग्रहास्तारा नारी सूर्यादयोप्सराः॥ हम्यशैलवि मानानामारोहो गगनेगमः / मद्यमांसादनं विष्ठालेपो रुधिरसेचनम्॥ दध्यादनादन राज्याभिषेका गोवृषध्वजाः // सिंह सिंहासनं शंखो वादि रोचना दधि // 25 // चंदनं दर्पणश्चैषां स्वप्ने संदर्शनं शुभम् / तैलाभ्यक्तः कृष्णवी नग्नो नागर्तवायसौ // शुष्कं कंटकिवृक्षश्च चांडालो दीर्घकंधरः // प्रासादस्तकहीना नेते स्वप्ने शुभावहाः॥ इति विचारयेत् / / For Private And Personal Use Only