________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir जपेदीपं समाथ कवचं प्रजपेनतः // मंत्र जम्न्या पुनर्वम पठेन्मंत्रं ततः परम् // 15 // स्तवराज पठित्वा तु मंत्र जप्त्वा निवेदयेत् // पुरुषोत्तमपादाजद्वितयेपितमौलिना / कथितो रामचन्द्रेण दीपदानविधिः शुभः // 16 // इति वटुकौरवदीपदानविधानम // // श्रीगणेशाय नमः // अथ श्रीबटुकभैरवपूजापद्धतिप्रारंभः // “नमः कर्पूरगौराय कैलामाचलवासिने // गौरीकंठग्रहानंदनिष्प दायांधकद्विरी // 1 // उत्पनिस्थितिसंहारकारको जगदीश्वरः // देवाधिदेवा बटुकभैरवोऽवतु मां सदा // 2 // भैरवाराधनविधि प्रवक्ष्यामि | समासतः // साधकानां हितार्थाय मुमक्षणां विशेषतः // षटकर्मणां च समिद्धयै वक्ष्ये भैरवपद्धतिम // 3 // " पुरश्चरणात पाक तृतीय दिवझे सौरादिकं विधाय ततः प्रायश्चित्तार्थ विष्णपूजां विष्णुतर्पणं विष्णुश्राद्ध हामं चांद्रायणदिवतं च कुर्यात् // व्रताशक्ती गोदानं द्रव्यदानं च कर्यात // यदि सर्वकर्माशक्तस्तदा प्रायश्चिनार्थ पंचगव्यप्राशनं कुर्यात // तत्र मंत्रः ॥"ॐ यत्वगस्थिगतं पापं देहे। तिष्ठति मामके // प्राशनात्पंचगव्यं हि दहत्यनिरिबन्धनम् // १॥इति पठित्वा प्रणबेन पंचगव्य पिबत // तदिन उपवास करवा अशक्तश्चेत पयःपानं हविष्यान्नेन एकाक्तवतं वा कुर्यात् // ततः पुरश्चरणात पूर्वदिने स्वदेहशुद्धयर्थ पुरश्चरणाधिकारप्राप्त्यर्थ / चायुतगायत्रीज कुर्यात् // तत्र क्रमः // देशकाला संकर्त्यि ज्ञाताज्ञातपापक्षयार्थ करिष्यमाणश्रीमदटुकभैरवपुरश्चरणाधिकारार्थम मुकमंत्रेण सिद्धयर्थं च गायत्र्यायुतजपमहं करिष्ये // इति संकल्प्य गायत्र्या अयुतं जपत // ततो गायत्र्याचार्यऋषि विश्वामित्रं तर्पयामि // 1 // गायत्रीछंदस्तर्पयामि // 2 // सवितारं देवं तर्पयामि // 3 // इति तर्पणं कुर्यात // ततस्तस्यां रात्री देवता पास्तिं शुभाशुभं स्वमं विचारयेत् // तत्र कमः // नानादिकं कृत्वा हरिपादांबुजं स्मृत्वा कुशासनादिशय्यायां यथासुखं स्थित्वा | For Private And Personal Use Only