________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir म० म० प्रयच्छति // 51 // तेजो बलं यशः पुत्रान्कान्ति लक्ष्मी मनोरमाम।। नश्यति शत्रवः सर्व वधने मित्रबांधवाः // 52 / / अवग्रहो न पू० खः / जायेत विषये तस्य भूपते // जुहुयात्केवललाणरयुतं स्तंभनेच्छया // 13 // माधयेद्विधिनानेन भम्म मथिमिद्धिदम् / रगीरं चंदनं / कुष्ठं घनसारं सकुंकुमम् ॥५४॥श्वताकमूलयाराहीलक्ष्मीक्षीरमहीमहाम् // त्वचो बिल्वतरोमूलं गोपयिन्वा सुचूर्णयेत् // 55 // चूर्ण व्योम्नि गृहीतेन गोमयेन विमिश्रितम्॥ कृत्वा पिंडाभिमंशोप्य संस्कृते हव्यवाहने॥५६॥मूलेन दग्ध्वा तद्धम्म शुद्ध पात्रे विनिःक्षिपेत्॥ केतकीमालतीपुष्पैर्वासयेद्भस्म शोधितम् // 17 // अयुतं प्रजपेन्मत्रं स्पृष्ट्वा भस्म सुपूजितम् // एतदादाय दिवसे प्रातः 9 करोति यः // 58 // ब्राह्मणो वेदविधिना त्रिपुडं धारयेत्सुधीः // शूद्रायैर्मूलमंत्रेण सर्व वा मूलमंत्रतः / / 59 // तस्य रोगाः प्रणश्यति / कत्याद्रोहमहामहाः // रिपुचोरमृगादियो जयमस्य न जायते // 6. // वर्द्धने संपदः सर्वाः पृज्यंते सकलजनः / / राजा वश्यो भवेत्तस्य सामात्यः सपरिच्छदः // 6 // अभिषेकं प्रकुर्वीत राज्ञो विजयकांक्षिणः // पूर्वोक्तमंडले कुन वितानध्वजशोभिते // 62 / / सर्वतोभद्रमालिख्य कर्णिकां तस्य पूजयेत् // अष्टद्रोणप्रमाणेन शालिभिः शोषितैः शुभः // 63 // तदर्धास्तण्डुलास्तस्मिन्यस्य दूर्वाक्षतान्वितम् // होमादिविहितं कुंभं नवरत्नसमन्वितम् // 64 // संस्थाप्य विमलैस्तोयेरापृयास्मिन्विनिःक्षिपेत् // क्षीरद्रुमप्रबालानि लक्ष्मीदुर्वासमायुतम् // 65 // कर्पूरं चंदन बिल्वमुशीरं कुंकुम पुनः // कंकोलमगुरुं जाति मल्लिकाचंपकोत्पलैः // 66 // गोमेददाडिमं // 23 // पश्चात्तट्टसूत्रेण वेष्टयेत् // तस्मिन्नावाह्य वटुकं राजसं संप्रपूजयेत् ॥६७॥बहिरष्टसु कुंभेषु भैरवानष्ट पूजयेत् // त्रयोदशः कुंभेपु त्रयोदश गणान्यजेत् // 68 // बाह्ये दशसु कुंभेषु लोकेशानर्चयेत्सुधीः // नहियष्टकुंभेषु श्रीकंठादीन्मुरेश्वरान् // 61 // पंचत्रिंशघटेष्वका For Private And Personal Use Only