________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजितपार्थिवः // साज्येन्ने च हुते मंत्री भवेदनसमृद्धिमान् // 34 // कस्तूरीकुंकुमोपेतं करं जुहुयादशी // कंदर्पादधिकं सद्यः सौंदर्य मधिगच्छति // 35 // लाजान प्रजुहुयान्मंत्री दधिक्षीरघृतप्लुतान / विजित्य रोगानखिलाञ्जीवेश्च शरदां शतम् // 36 // पादद्वयं मलयजं पादं कुसुमकेशरम् // पादं गोरोचनायाश्च त्रीणि पिष्टा हिमांभसा // 37 // विदश्यानिलकं नाले यान्पश्चाद्यान्विलोकयेत् // यान्स्पृशेत् स्पर्शिता ये वै वश्याः स्युस्तस्य तेऽचिरात् // 38 // कपुरकपिचोराणि समभागानि कल्पयेत् // चर्तुभागो जटामांसी तावती रोचना मता // 30 // कुंकुम समभागं स्याद् द्विभागं चंदनं मतम् // अगरं नवभागं स्यादेवं भागक्रमेण च // 40 // हिमा द्विः कन्यकापिष्टमेतत्सर्व सुमाधितम् // यो भाले तिलकं धने कुर्याद्भुमिपतीन्नरान् // 42 // यासितान्मदगाट्यान्मदोन्मना|| मतंगजान // सिंहान्व्याघ्रान्महासन्भृितवेतालराक्षसान // 42 // दर्शनादेव वशयत्तिलकं धारयेन्नरः // (शारदातिलके है। विशेषः ) बिल्वप्रसूनै हुयान्महनीं विंदते श्रियम् // 43 // लवणमधुसंयुक्तवर्शयेदनिताजनान् // वृष्टिकामेन होतव्यं / वेतसानां समिद्वरैः // 44 // वश्याय जुहुयान्मंत्री मधुना दिवसत्रयम् // कृष्णाष्टमी समात्य यावत्स्यानु चतुर्दशी // 45 // तिलैस्तण्डुलसंमित्रैर्मधुरत्रयलोलितैः // त्रिसहस्रं प्रतिदिनं जुहूयात्संस्कृतेऽनले // 46 // बटुकेशं समायऱ्या भक्ष्यसोज्यफलान्वितः // नित्यं निवेद्य समये मध्यरात्रे बलिं हरेत् // 47 // एवं जपित्वा प्रयतः सहस्राण्येकविंशतिः // समातिदिवसे राबावजं हत्या बलि हरेत // 48 // ततः कारयिता राजा तोषयेत्साधकं धनैः॥ प्रयोगदिवसे नित्यं भक्ष्यभोज्यैः सदक्षिणैः // 49 // विप्रान्सप्त महादेवि | तोषयेद्वांछिताप्तये // ममामिदिवसे विप्रान्सममा समाहितः // 50 // भोजयेद्वश्वविनायस्तोषयेज्जगदीश्वरि / विधिनानेन संतुष्टो बटुकेशः For Private And Personal Use Only