________________ Acharya Shri Kalassag www.kobatm.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra y armandir मं• म०वीफलैहोमे सर्वसिद्धिमवामुयात् // 15 // अश्वत्थममिधाहोमे पुत्रामिः सर्वमिद्धयः // लवणघृतहोमेन शत्रून्मादकरं भवेत् // 16 // पू० ख.. २३५काकोलकमांसहोमाच्छन्मारयते ध्रुवम् // मनरात्रेण देवेशि श्मशाने च त्रिलक्षकम् // 17 // जपित्वा बलिदानेन वटुको दर्शने भै• तं० भवेत् // वटवृक्षतले मस्खिलक्षं प्रजोनिशि // 18 // रसायनं च गुटिकां चेटकासिद्धिमानुयात् / / विभीतकवृक्षतले यदि लक्षं जपेन ! तरं०१० रः // 19 // वेतालभूतप्रेताश्च वश्या भवंति निश्चयात॥ जुयादरुणाम्भोजयजोदोपैमधुप्रतैः // 20 // लक्षसंख्या तदर्ध वा प्रत्यहं भोजये। द्विजान / / वनितां युवती रम्यां प्रीणयद्देवताथिया // 21 // होमांते धनधान्यायेस्तोषयेद्गुरुमात्मनः // एवंकते जगदृश्यं रमाया भवन भवेत् // 22 // रक्तोत्पलैबिमध्वक्तैरमणैर्वा हरिद्रजैः // पुष्पैः पयोन्नैः मतेहीमादिश्वं वशं नयेत // 23 // वाकसिद्धिं लभते मंत्री पालाशकुसुमैर्तुते // कर्परागरुसंयुक्तं गुग्गुलु जुहुयात्सुधीः // 24 // ज्ञानं दिव्यमवामोति तनैव स भवेत्कविः / / श्रीराकैरमृताखंडै / होमः सर्वापमृत्युजित // 25 // दुर्वाभिरायुषे होमः श्रीराताभिर्दिनत्रयम् // गिरिकर्णिभवैः पुष्पैस्तवधूकर्णिकारजैः // 26 // मालतीकुसुमैर्तुत्वा तत्युत्रांश्च वशं नयेत् // कारंडकुसमवश्यान वृपलान पाटलोद्भवैः // 27 // आत्मानमविलेपांतस्थितसाध्याह्वयान्वि तम् // मंत्रमुच्चार्य जुहुयान्मंत्री मधुरलोडितैः // 28 // सर्पपेः पटुभित्रैर्वशयेत्पार्थिवान्क्षगात् // अनेनैव विधानेन सपत्नी तत्सुता नपि // 29 // जातिबिल्वफलैः पुष्पैर्मधुरत्रयसंयुतः // नरनारीनरपतीन्होमतो वशयेध्रुवम् // 30 // मालतीकुसुमो दूतैः पुष्पश्चंदनलो। डितैः // जुहुयात्कवितां मंत्री लभते वत्सरान्तरे // 33 // मधुरत्रयसंयुक्तैः फलेबिल्वममुद्भवैः // जुहुयावशयेल्लोकाञ्छूियं प्रामोति / वांछिताम् // 32 // पाटलैः कुसुमैः कंदैरुत्पलेन गचंपकैः॥ नद्यावतविकचितैः कृतमालैर्जुहोति यः॥३३॥जायते वत्सरादर्वाक श्रिया 30 SHORROR For Private And Personal Use Only