________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir वाससम् // शुक्रवस्त्रपरीधानं श्वेतमालानुलेपनम् // 13 // त्रिनेत्रं नीलकंठं च मुक्ताभरणभूषितम् // अन्ये वै ध्यानभेदाश्च स्तवराजे प्रकीर्तिताः // 14 // अथ प्रयोगः (रुद्रयामले) शुक्लपक्षे द्वितीयायां शुक्रवारे समाहितः / / पूर्ववत्पूजयेद्देवं सिद्धान्नं च निवेदयेत् // 3 // पलाई च वचाचर्ण तन्मानघृतसंयुतम् // पद्मपत्रे विनिःक्षिप्य त्रिसहस्र जपेद्बुधः // 2 // प्राशयेन्नियतो भूत्वा पुनर्लक्षत्रयं जपेत् // तस्यैवं कुर्वतः प्रज्ञा निःसीमा भवति ध्रुवम् // 3 // गद्यपद्यमयी वाणी श्रुतस्याप्यवधारणम् // कृष्णपक्षे चतुर्दश्यां भूमिपुत्रस्य वासरे // 4 // आराध्य विधिवद्देवं तस्याये स्थापयेद्रुधः // रोचनां हेमजे पात्र मंपूज्य विधिनाथ नाम् // 5 // गंधपुष्पादिना स्पृष्ट्वा तां जपेदयुतत्रयम् // तद्गतवति प्रज्वाल्य कपिलावृतमेविताम् // 6 // मौवर्ण नुकपाले वा पात्रे मंगृह्य चांजनम् // मपूज्य च पुनर्जप्त्वा तत्पात्रं मंत्रसंग्रहम् // 7 // ध्यात्वा वादवदंशोरे तदा चांजनमाचरेत् // वश्या अवंति ते सर्व यान्यान्पश्यति साधकः // 8 // बंध्याचिंकिन्मां कुर्वाणो बालाका समर्चयेत् // हरिद्रार्थपलं चैव वचाचूर्ण च तत्समम् // 9 // षयित्वा तु गोमूत्रे गोलकं घृतसंयुतम् // पद्मपत्रे विनिःक्षिप्य स्थापयेदेवमन्निया // 10 // प्रणिपत्य नमस्कृत्य जपे दुच्चैः सहस्रकम् // एवमेव प्रकारेण प्राशयेनु महीषधम् // 11 // श्रीमंतमायुष्मं च बलवंतं सुदर्शनम् // विद्यावंतं पुत्रवतं सद्यः पुत्रमवामुयात् // 12 // वश्यार्थमयुतं जया रक्तपुष्पैर्दशांशतः // होमं कुर्यात्करवीरैः श्वविद्यामवामुयात् // 13 // लक्ष्म्यात्यै कम लैहोमो दीर्घायुया हुते // गुडेन रोगनाशः स्यादपमृत्यूनिवारणम् // 14 // वस्त्रेण वस्त्रप्रातिः स्याद्धान्यामिर्धान्यहोमतः॥ पुत्रजी 1 शारदातिलके विशतमिति पाठः // For Private And Personal Use Only