________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मं०म० // 234 // शेन मंत्रांत "ॐ बटुकौरवं तर्पयामि" इत्युक्ता दुग्धमिश्रितजलेन तर्पणं कुर्यात् // ततस्तर्पणदशांशेन मंत्रांते "ॐ आत्मानमनिषिचामि० खं. 1 नमः॥” इति मयभिषेकः॥होमतर्पणाभिषेकाशक्तौ तत्तत्स्थाने तनद्विगुणो जाः कार्यः ततोऽभिषेकदशांशमख्याकमष्टोत्तरशतं वा ब्राह्म भै० त. वणान भोजयेत् // इति शारदातिलके ज्ञेयम् // रुद्रयामले पुरश्चरणलक्षजपः॥तनदशांशेन होमतपणब्राह्मणभोजनानि कारयेत्॥ एवंकते तरं०१० मंत्रः सिद्धो भवति / सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान् साधयेत् // नथा च ( रुद्रयामले ) "लक्षमेकं जपेन्मंत्र हविष्याशी जितेन्द्रियः॥ तदशांशं च जुहुयानिलैर्मधुरसंयुतैः // 1 // अनेन मनुना देवी सिद्धेन जगतीतले // असाध्यं नास्ति लोकेषु सत्यंसत्यं मयोदितम्॥२॥ है एवं सिद्धे मनौ मंत्री प्रयोगान् कर्तुमर्हसि // यथाकामं तथा ध्यानं कारयेत्साधकोत्तमः॥३॥रकार्येषु सर्वेषु ध्यानं वै तामसं स्मृतम् // वश्ये विद्वेषणे स्तंभे राजमं ध्यानमीरितम् // 4 // सात्त्विकं शुभकार्येषु ध्यानभेदः समीरितः // बालमूर्य्याशुसंकाशं राजसं ध्यानमु च्यते // 5 // सात्विकं श्वेतवर्ण च कृष्णं तामसमुच्यते // सर्वकामार्थसिद्धयर्थे राजसं ध्यानमुच्यते // 6 // ' अथ तामसध्यानं यथा “ॐ त्रिनेत्रं रक्तवर्ण च वरदाभयहस्तकम॥सव्ये त्रिशूलमभयं कपालं वरमेव च॥७॥ रक्तवस्त्रपरीधानं रक्तमाल्यानुलेपनम् // नीलग्रीवं |च सौम्यं च सर्वाभरणभूषितम् ॥८॥अथ राजसध्यानम् // तुपारकर्णिकाभासं मायारूपमनंतकम् // मूर्ध्नि खंडेन्दुशकलं त्रिनेत्रं शांति लोचनम् // 9 // सर्वकारणकर्तारं द्विभुजं रत्नभूषितम् // कपालं वामहस्ते च सूक्ष्मदण्डं च दक्षिणे // 10 // पादनुपुरसंयुक्तं छिन्नशीर्षविभूषितम् // सर्पमालासमायुक्तं हस्तोरुस्थूलजानुषु // आंत्रमालासमायुक्तं सर्वाभरणभूषितम् // 11 // अथ सात्त्विक ध्यानम् // श्वेतवर्ण चतुर्बाहुं जटामुकुटधारिणम् // भुजंगपाशहस्तं च हस्ते दंडकमण्डलुम् // 12 // शुक्लयज्ञोपवीतं च शुक्लकौपीन For Private And Personal Use Only