________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir नमः। गणपतिश्रीपा० // 4 // दक्षिणे मैं भैरवाय नमः / भैरवश्रीपा० // 5 // पश्चिमे / शं क्षेत्रपालाय नमः / क्षेत्रपालश्रीपा० // 6 // उत्तरे / दुं दुर्गायै नमः। दुर्गाश्रीपा०॥७॥इति पूजयेत॥ततः पुष्पांजलिं गृहीत्वा मूल मुच्चार्य। “अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सल॥ भक्त्या समर्पये तुल्यं नवमावरणार्चनम्।।इति पठित्वा पुष्पांजलिं दत्त्वा विशेषा_दिदं भैरवोपरि निक्षिप्य वृजितास्तार्पताः संतु इति वदेत॥ इति नवमावरणम् // 9 // ततो भूपुरावहिः पूर्वादिक्रमेण दशदिनु इन्द्रादीन दशदिक्पालान पूजयेत्॥तत्र क्रमः / ॐ ह्रीं लं इंद्राय नमः। इन्द्रश्रीपा० // 3 // ॐ ह्रीं रं अनये नमः / अग्निश्रीपा०॥२॥ ॐ ह्रीं मं यमाय नमः।यमश्रीपा० ॥३॥ॐ ह्रीं क्षं निर्कतये नमः। निति श्रीपा०॥४॥ह्रीं वं वरुणाय नमः। वरुणश्रीपा०॥५॥ॐ ह्रीं यं वायवे नमः। वायुश्रीपा०॥६॥ॐ ह्रीं सों सोमाय नमः / सोमश्रीपा०d // 7 // ॐ ह्रीं हं ईशानाय नमः / ईशानश्रीपा० // 8 // इन्द्रेशानयोर्मध्ये / ॐ ह्रीं आँ ब्रह्मणे नमः। ब्रह्मश्रीपा०॥९॥वरुणनितयो| मध्ये / ॐ ह्रीं अनंताय नमः // 10 // इति दशदिक्पालान् पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति दशमावरणम् // 10 // ततः इन्द्रादि समीपे / ॐ वं वज्राय नमः॥१॥ ॐ शं शक्तये नमः // 2 // ॐ दं दंडाय नमः॥३॥ ॐ खं खड्गाय नमः॥४॥ ॐ पां पाशाय नमः // 5 // ॐ अं अंकशाय नमः // 6 // ॐ गं गदायै नमः // 7 // ॐ त्रिं त्रिशूलाय नमः / / 8 / / ॐ पं पनाय नमः ।।१॥ॐ चं चक्राय नमः // 10 // इत्यत्राणि पूजयित्वा रुद्राख्यपदं संयोज्य पुष्यांजलिं च दत्वा स्तंभन 1 चतुरासणि 2 मच्छ 3 गोक्षु 4 योनि | मुद्र इति पंच मुद्राः प्रदर्शयेत् // इत्येकादशावरणम् // 11 // इत्यावरणपूजां कृत्वा धृपादिनमस्कारांत संपूज्य पंचबलिदानं दत्त्वा पशुब लिदानादिकं विधाय जपं कुर्यात्॥अस्य पुरश्चरणमेकविंशतिलक्षजपः // जपांततिलाज्येनमधुमिश्रितेन दशांशतो होमः / होमाते होमदशां For Private And Personal Use Only