________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir IRANI मं० म // 11 // खं०१० तरं.१ स्थितौ // कोष्ठे कुक्षी उभौ पादौ द्वौ शिष्टं पुच्छमीरितम् // 297 // मुखस्थो लभते सिद्धिं करस्थः स्वल्पजीवनः॥ कुक्षिस्थितिरुदासीनः पादस्थो दुःखमाप्नुयात् / / 298 // पुच्छस्थः पीड्यते मंत्री बन्धनोचाटनादिभिः॥ कर्मचक्रमिति प्रोक्तं मंत्राणां सिद्धिसाधनम् // // 299 / / (मंत्रमहोदधौ) नवधा तां धरां कृत्वा पूर्वादिषु समालिखेत् // कोष्ठेषु सप्त वर्गाश्च लक्षौ मध्ये तथा स्वरान् // 300 // पुरश्चरणचन्द्रिकोक्तं कूर्मम् / मंत्रमहोदधिप्रोक्तं कूर्मम् / ईशानभुजा पूर्वमुख अग्निभुजा ईशान पूर्व अग्नि ल. क्ष- क ख ग घ च छ ज झत्रा उत्तर ल-क्ष- | भ-मा- इ. अंभ:- कखगघङ च छ ज झज दक्षिण कुक्षि श ष स ह टठडढण उत्तर अं अः अ आ इ ई श ष स ह भो औ उ ऊ ट ठ ड ढ ण दक्षिण | एऐ ऋऋ याम 11 // यरलव प फ ब भ म त थ द ध ना ए-ऐ- ल-लू ऋऋ. य र ल व | पफ ब भ म त थ द धन वायुपाद पश्चिमपुच्छ नैऋत्यपाद वायुकोण पश्चिम नैर्ऋत्यकोण For Private And Personal Use Only