________________ Acharya Shri Kalassagar Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तं. तरं०१० मं०म०विधायख्यातिबीजतः // 19 // मूलवीजनपश्चाच्चन्यासंकत्वामहामतिः // भामरीबीजतोन्यासंविदध्यात्त्रीतिसंयुतः॥ 20 // एवंन्या // 22 // साअपादौतुनकरोतिनरोयदा // बांछयेहंवरारोहेतावन्मंत्रोनसिध्यति // 21 // इतिन्यासान्समाधायपुरश्चरणकारकः / यथोक्तन्या सकारीचयदिनोवरमानुयात् / / 22 / / तदाकन्यादूषणोत्थंममपापंजायताम् / / न्यासरेतैर्वरारोहेब्रह्महत्याविनश्यति // 23 // काका थान्यस्यपापस्यसत्यंमत्यंवदामिते // ममन्यासानथोवक्ष्ये त्रीन्देवस्यमहात्मनः॥२४॥ यान्विधायनरोविंदेतसिद्धिलोकेषुदुर्लभाम् // आ कृतबीजविन्यस्येन्मस्तकेगंडयोर्मुखे // 25 // कालबीजंचक्षुपोश्चकर्णयोरपियिन्यसेत् // नाभौलिंगेगुदेवापिविद्याबीजकपोलयोः॥२६॥ ब्रह्मरंधेदंतपंक्तीविन्यसेत्साधकोत्तमः॥एतन्यासत्रयंप्रोक्तंसाधकाभीष्टसिद्धिदम्॥२७॥ यस्यप्रसादमासाद्यसाधकः शीघ्रसिद्धिदः // शृणुदे विप्रवक्ष्यामिशृंखलान्यासमुत्तमम् // 28 // यस्यप्रसादाचशिवेबटु कः सिद्धिदोभवेत् // महापराख्यबीजंचविन्यसेत्साधकोत्तमः // 29 // न्यासेनानेनसुश्रोणिसाक्षाच्छिवसमोभवेत् // बटुकस्याथवक्ष्यामिमातृकान्यासमुत्तमम् // 30 // कृतेनयेनबटुकः साधकस्यकरेभवेत् // बटुकस्यपरंपूज्यंमातृकान्यासमुत्तमम् // 31 // विज्ञायसाधयेत्याज्ञः समद्यः शिवतांवजेत् // विनवमातृकान्यासंयोन्येनन्यासमाचरे| त् / / 32 // वटु कस्तस्यकुपितः सद्यः शापंप्रयच्छति // तस्यन्यासः प्रकर्तव्यः साधकेनविपश्चिता // 33 // संघर्षमातृस्थानेषुवपुः / / पावनहेतवे // मातृकान्यासमेनहित्यक्त्वाऽन्यंन्यासमाचरेत् // 34 // वर्षकोटिप्रयत्नेनससिद्धिनैवविंदति // ॐ कारमादौसंयोज्यसर्व पूर्ववदाचरेत् // 35 // अयमंतर्मातृकाख्योन्यासः स्यात्पूर्वसिद्धिदः // ॐकारमादिमकत्वान्यासायंवरवणिनि // नाम्नाबहि मात्रिकाख्योन्यासचूडामणिवेत् / / 36 / / अथान्यन्यासमाख्यास्येशृणुष्ववरवर्णिनि / / सरस्वतीमातृकाख्यंसद्यःसिद्धिप्रदायकम् / / 37 // SO-90014--2 For Private And Personal Use Only