________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir श्रीगणेशाय नमः।। अथ श्रीवटुकौरवतंत्रप्रारंभः // तत्रादौ पटलप्रारंभः / / दृष्वातंत्राण्यनेकानिमाधयाख्येनधीमता / / श्रीमटुकनाथस्य च * पटलंवक्ष्यतेधुना ॥३॥(रुद्रयामले ) एकदागिरिजाशं पप्रच्छोपासनाविधिम् // येनेदं सर्वलोकानामीप्मितं च फलंभवेत् // 2 // श्री पार्वत्युवाच // प्राणनाथजगन्नाथजगदादिजगन्मय / शंभोशंकरदेवेशवटुकाराधनंवद // 3 // एकादशसहस्रंतुभजनहित्वयोदितम् // विधिस्तस्यविशेषेणबृहित्वंशंकराधुना // 4 // येनकार्याणिसिध्यंतिसाधकानांनिरंतरम् // सुगोप्यमपिदेवेशविधिप्रबेहिशंकर // 5 // y ईश्वर उवाच / / सम्यक्पृष्टत्वयादेविलोकदुःखविमोचनम् // मयावटुकरूपंहितंसर्वसुखावहम् // 6 // अन्येदेवास्तुकालेनप्रसन्नाः संभव तिहि // वटुकः सेवितः सद्यः प्रसीदतिध्रुवंशिवे / / 7 / / दुःखेचसेवितः शीनंदुःखनाशयतेक्षणात // सुवेचसेवितोनित्यंसुखंवर्द्धयते बहु // 8 // शृणुदेविप्रवक्ष्यामिवटु कस्यमहात्मनः // विधानपरमंगोप्यंबलादीनांसुदुर्लभम् // 1 // मंगवसुसंक्षेपात्कथयिष्यामिवई ल्लभे // यनविज्ञानमात्रेणत्रैलोक्यसाधयेत्सुधीः // 10 // एकदादेवदेवेशितपसेमंदराचलम् // गतोहंपरमानंदान्मूलपतिमीवरीम्॥११॥ चक्रेपरमसंतुष्टांतपसाभावितात्मना // आकाशरूपिणीदेवीप्रोवाचवचनंमुदा // 12 // तुष्टाहंशंकरप्रीतावरवरयदुर्लभम् // वटु कस्यविधा निमेपरमभक्तितोवरम् ॥१३॥परमाशयान्मंत्रस्ययेनसिध्यतिमर्वथा // मनोरमाणिमंत्रस्यसर्वकार्याणिसांप्रतम् // 14 // इतिवाक्यंचमेव त्वामूलभूतासनातनी // उवाचयादृशंदेवीविधानं शृणुवल्लभे // 15 // वटुकाव्यस्यदेवस्यभैरवस्यमहात्मनः // बलाविष्णुमहेशायैवदित / स्यदयानिधेः // 16 ॥न्यासाएकादशमोक्ताबटुकाराधनेशिये / यान्विनानवसिद्धिः स्यादपणामयुतैरपि // 17 // प्रथमः प्रेतबीजेन / नृसिंहबीजेनचापरः / / काणबीजेनसत्यायाः श्रीबीजेनततः परः॥ 18 // प्राणवीजेनबैन्यासानुकुर्यानवविचक्षणः॥ वंटाबीजेनचन्यास For Private And Personal Use Only