________________ www.kab Acharya Shri Kalassag Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra y armandir .org / // 22 // 12 शर्वईश्वरः // फलभुक्फलहस्तश्चसर्वकर्मफलप्रदः // 133 // धर्माध्यक्षोधर्मफलोधमाधर्मप्रदोऽर्थदः // पंचविंशतितत्त्वज्ञस्तारकोबलपू.. 1 तत्परः॥ 134 // त्रिमार्गवसति(मःसर्वदुष्टनिबर्हणः // ऊर्जस्वान्निष्कलःशूलीमौलिगर्जनिशाचरः / / 135 // रक्तांवरघरोरक्तो। भारतमालाविभूषणः // वनमालीशुभांगश्चश्वेतःश्वेतांबरोयुवा // 136 // जयोऽजयपरीवारःमहप्रवदनःकपिः / / शाकिनीडाकिनीयक्षतरं०९ रक्षोभूतप्रभंजकः॥ 137 // सद्योजातःकामगतिर्ज्ञानमूर्तियशस्करः // शंभुतेजाःसार्वभौमोविष्णुभक्तःप्लवंगमः // 138 // चतुर्नवति। मंत्रज्ञःपौलस्त्यबलदपहा // सर्वलक्ष्मीप्रदः श्रीमानंगदप्रिय ईतिनुत् / / 139 // स्मृतिबीजमुरेशानःसमारभयनाशनः // उनमःश्रीपरी बारःश्रितरुद्रश्चकामधुक् // 140 // बाल्मीकिरुवाच // इति नाम्नां सहस्रेण स्तुतो रामेण वायुभः / / उवाच ते प्रसन्नात्मा संधायात्मानमव्ययम्।। 141 // श्रीहनुमानुवाच ॥ध्यानास्पदमिदं वालमत्पुरःसमुपस्थितम् // स्वामिन्कपानिधेरामज्ञातोसिकपिनामया // 142 // त्वद्ध्याननिरतालोकाः किंमांजपसि सादरम् // तवागमनहेतुश्चज्ञातोपत्रमयाऽनय // 143 // कर्तव्यंममकिंरामतथा हिचराघव // इतिप्रचोदितोरामः प्रहृष्टा मदमत्र वीद // 144 // श्रीराम उवाच / / दुर्जयः खलुबैदेहीगृहीत्वाकोऽपिनिर्गतः // हत्वातं, निघणवीरमानयत्वंकपीश्वर // 145 // मम दास्यंकुरुसखेभवविश्वसुखंकरः // तथाकते त्वया वीर मम कार्य भविष्यति॥ 146 // ओमित्याज्ञां तु शिरसा गृहीत्वा स कपीश्वरः // विधेयं विधिवत्तत्र चकार शिरसा स्वयम् // 47 // इदं नानां सहस्रं तु योऽधीते / प्रत्यहं नरः // दुःखौघो नश्यते तस्य सम्पत्तिर्वर्धतेऽचिरम् // 148 // वश्यं चतुर्विधं तस्य भवत्येव न संशयः / / राजानो राजपुत्राश्च / राजकीयाश्च मंत्रिणः // 149 / / अश्वत्थमूले जपतां नास्ति बरिरुतं भयम्॥त्रिकालपठनानस्य सिद्धिः स्यात्करसंस्थिता / / 350 / / For Private And Personal Use Only