________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कण्ठःशितिकण्ठश्चसहायोगहनायकः / / 112 / / अस्थूलस्वनशुभगादिव्यःसंमृतिनाशनः / / अध्यात्मविद्यामारवायच्यात्मकुशलः सुधीः // 15 // अकल्मषःमत्यहेतुःसत्यदःमत्यगोचरः॥ नत्यगर्भःमत्यरूपःसत्यःमत्यपराक्रमः / / 11 // जनमाणलिंगचवायु वंशोहहःश्रुतिः।। जद्ररूपोरुद्ररूपःसुरुपश्चित्ररूपधृक् / / 17 / भेनाकदितःमूक्ष्मदशनोविजयोऽजयः / / कांतदिइमण्डलोरुदःप्रकटी| कृत विक्रमः / / 318 / / कंचुकण्ठःप्रसन्नात्माह्रस्वनासोवृकोदरः।।लंयोधकुण्डलीचित्रमालीयोगविदांवरः / / 19 / / विपश्चित्कवि रानन्दविग्रहोऽनल्पशासनः / / फल्गुनीमूनुरव्ययोयोगात्मायोगतत्परः / / 120 // योगविद्योगकर्ताचयोगयोनिदिगम्बरः / / अकारा / दिक्षकारांतवर्णनिर्मितविग्रहः / / 12 / उलग्बलमुखःसिद्धसंस्तुतःप्रमश्वरः।। श्लिष्टजंघःश्लिजानु:श्लिष्पाणिःशिखाधरः।। 122 // मुशर्माऽमितशर्माचनारायणपरायणः / / जिष्णुभविष्णरोचिष्णुप्रमिष्णुःस्थाणुरेवच / / 123 // हरिरुद्रानुकदक्षकंपनोभूमिकंपनः / / गुण प्रवाहःमूत्रात्मावीतरागस्तुतिप्रियः // 124 नागकन्याभयध्वंसीऋतुपर्णःकपालभृत् / / अनुकूलोक्षयोऽपायो नपायोवेदपारगः / / 125 // अक्षरःपुरुषोलोकनाथऋक्षप्रभुईढः // अष्टांगयोगफलभःसत्यसंधःपुरुष्टुतः // 126 / / श्मशानस्थाननिलयःप्रेतविद्रावणश्रमः / / पंचाक्षरपरःपंचमातृकोरंजनध्वजः // 126 // योगिनीवृन्दवंद्यश्रीःशत्रुनोऽनंतविक्रमः // ब्रह्मचारीन्द्रियरिपुर्धतदण्डोदशात्मकः || 228 / / अप्रपंचःसदाकारःशूरसेनोविदारकः।। वृद्धःप्रमोदआनन्दःसमजिह्वपतिर्धरः // 129 // नवद्वारपुराधारःप्रत्ययःसामगाय कः // षट्चक्रधामास्वलोकभयहृन्मानदोमदः // 130 // सर्ववश्यकरःशक्तिरनंतोऽनंतमंगलः // अष्टमूर्ति यापेतोविरूपःमुरमुंदरः / / // 130 // धूमकेतुर्महाकेतः सत्यकेतुर्महारथः // नन्दिप्रियःस्वतंत्रश्चमेखलीडमरुप्रियः // 132 // लोहांगः सर्वविद्धन्धीखण्डलः For Private And Personal Use Only