________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabati.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir पू० खं. 1 मं०म० // 223 // नरनारायणस्तुल्योनवनाथमहेश्वरः // मेखलीकवचीखड्गीवाजिष्णुजिष्णसारथिः / / 96 // बहुयोजनविस्तीर्णपुच्छःपुच्छहतासुरः॥ दुष्टयहनिहंताचपिशाचग्रहघातकः / / 97 / / बालग्रहविनाशीचधर्मनेताकपाकरः // उपकृत्यउपवेगउग्रनेत्रः शतक्तः // 18 // शतमन्यस्तुतः स्तुत्यः स्तुतिः स्तोतामहाबलः // समयगुणशालीचव्ययोरक्षोबिनाशनः / / 99 // रक्षोनिदाहोरलेशः श्रीधरो वक्तवत्सलः // मेघनादोमेघरूपोमेघवृष्टिनिवारकः।। 100 ॥मेवजीवनहेतुश्चमेघश्यामःपरात्मकः।। समीरतनयोयोद्धातन्यविद्याविशारदः // 101 // अमोघोमोघदृष्टिश्चदिष्टदोरिष्टनाशनः / / अर्थोऽनापहारीचसमर्थोरामसेवकः // 102 // अर्थिवन्योसुरारातिःपुण्डरी काक्षआत्मभूः // संकर्षणोविशुद्धात्माविद्याराशिःसुरेश्वरः // 103 // अचलोद्धारकोनित्यःसेतुकद्रामसारथिः / / आनन्दःपरमानन्दो मत्स्यःकूमोनिधीशयः // 104 // वाराहोनारसिंहश्चवामनोजमदग्निजः // रामःमःशिवोवृद्धःकल्कीरामश्चमोहनः / / 105 // नदशिंगीचचण्डीचगणेशोगणसेवितः / / कर्माध्यक्षःसुरारामोविश्रामोजगतीपतिः / / 106 // जगन्नाथःकपीशश्च सर्वावामःमदाश्रयः / / सुग्रीवादिस्तुतादांतःसर्वकर्माप्लवंगमः / / 107 / / नखदारितरक्षाश्चनखयुद्धविशारदः।। कुशल:सुधनःशेषोवामुकिस्तक्षकस्तथा।।१०८॥ स्वर्णवर्णोबलाढ्यश्चपुरजेतापनाशनः // कैवल्यदीपःकैवल्योगरुडःपन्नगोगुरुः // 109 // विकिराबहतारातिर्गर्वपर्वतभेदनः / / वज्रांगोबजबजश्चभक्तवजनिवारकः // 10 // नखायुधोमणिग्रोवोज्वालामालीचभास्करः // प्रौढप्रतापस्तपनोभकतापनि वारकः // 111 // शरणंजीवनभोक्तानानाचेष्टोऽथचंचलः // स्वस्थस्त्वस्वास्थ्यहादुःखशातनः पवनात्मजः // 12 // पावनःपवनःकांतोभक्तागःसहनोबली // मेघनादरिपुमंधनादसंहतराक्षमः // 113 // अरोडरोविनीतात्मावानरेशःमतांगतिः / / श्री // 223 For Private And Personal Use Only