________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir अवांतरदिशः पातु सीताशोकविनाशनः।। लंकाविदाहकः पातु सर्वापद्भ्यो निरंतरम् // 7 // मुग्रीवसचिवः पातु मस्तकं वायुनंदनः॥ भालं पातु महावीरो भुवोर्मध्ये निरंतरम् / / 8 // नेत्रे छायापहारी च पातु नः पूवगेश्वरः // कपोलौ कर्णमूले च पातु श्रीरामकिं करः / / 9 / / नासाग्रमंजनीसूनुः पातु वक्रं कपीश्वरः / / पातु कंठं च दैत्यारिः स्कंधौ पातु सुरार्चितः / / 10 / / भुजौ पातु महाते जाः करौ तु चरणायुधः।। नखान्नखायुधः पातु कुक्षौ पातु कपीश्वरः।।।३।। वक्षो मुद्रापहारी च पार्थं पातु भुजायुधः।। लंका विभंजकः पातु पृष्ठे देशे निरंतरम् / / 12 / नाभिं च रामदूतश्च कटिं पात्वनिलात्मजः / / गुह्यं पातु कपीशस्तु गुल्कौ पातु महाब लः // 13 // अचलोद्धारकः पातु पादौ भास्करसन्निभः // अङ्गान्यमितसच्वाट्यः पातु पादांगुलीः सदा // 14 // सर्वाङ्गानि महा शूरः पातु रोमाणि चात्मवान् / / हनुमत्कवचं यस्तु पठेद्विद्वान्विचक्षणः // 5 // स एव पुरुषश्रेष्ठो भुक्तिं मुक्तिं च विंदति // त्रिका लमेककालं वा पठेन्मासत्रयं पुनः // 16 // सर्वारिष्टं क्षणे जित्वा स पुमाश्रियमानुयात / / अर्धरात्रे जले स्थित्वा मतवारं पठे यदि // 17 // क्षयापस्मारकुष्ठादितापज्वरनिवारणम् // अश्वत्थमूलेऽर्कवारे स्थित्वा पठति यः पुमान् // 18 // स एव जयमामोति संघामेष्वभयं तथा // यः करे धारयेन्नित्यं सर्वान्कामानवामुयात् // 19 // लिखित्वा पूजयेद्यस्तु तस्य ग्रहाय हरेत् / / कारागृहे प्र ) याणे च संग्रामे देशविप्लवे // 20 // यः पठेद्धनुमत्कवचं तस्य नास्ति भयं तथा // 21 // यो वारांनिधिमल्पपल्वलमिवोल्लंघ्य प्रता पान्वितो वैदेहीधनतापशोकहरणो वैकुण्ठभक्तप्रियः // अक्षार्जितराक्षसेश्वरमहादपिहारी रणे सोऽयं वानरपुङ्गवोऽवतु सदा चास्मान्स मीरात्मजः // 22 // इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे अगस्त्यनारदसंबादे श्रीरामचन्द्रप्रोक्तं हनुमत्कवचं सम्पूर्णम् // अथ हनुमत्सहस्रनामस्तो For Private And Personal Use Only