________________ Shri Mah Jain Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shei Katassagasul Gyanmandir पू० ख०१ तं. मं० म०प्रारंभः // ॐ अस्य श्रीहनुमत्कवचस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः / अनुष्टुप्छंदः / श्रीहनुमान्देवता / मारुतात्मजति बीजम् / अंजनीसूनुरिति शक्तिः / आत्मनः इति कीलकम् / सकलकार्यसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः // ॐ श्रीरामचन्द्रऋपये नमः शिरसि // 1 // अनुष्टुप्छंदसे| नमः मुखे // 2 // श्रीहनुमद्देवतायै नमः हृदि // 3 // मारुतात्मजेति बीजाय नमः गृह्ये // 4 // अंजनीसूनुरिति शक्तये नमः पादयोः // 5 // आत्मनः इति कीलकाय नमः नाभौ // 6 // विनियोगाय नमः मागे // 7 // इति ऋष्यादिन्यासः॥ ॐ हनुमते अंगुष्ठाभ्यां नमः॥१॥ पवनात्मजाय तर्जनीभ्यां नमः॥ 2 // अक्षपद्माय मध्यमाभ्यां नमः // 3 // विष्णुभक्ताय| अनामिकाभ्यां नमः // 4 // लकाविदाहकाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 // श्रीरामकिंकराय करतलकरपृष्ठायां नमः // 6 // इति करन्यासः / / ॐ हनुमते हृदयाय नमः // 1 // पवनात्मजाय शिरसे स्वाहा // 2 // अक्षपनाय शिखायै वषट् // 3 // विष्णुभक्ताय कवचाय हुम् / / 4 / / लंकाविदाहकाय नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // श्रीरामकिंकराय अत्राय फट / / 6 / / इति हृदया दिषडंगन्यासः // ध्यायेदालदिवाकरद्युतिनिभं देवारिदोपहं देवेन्द्रप्रमुखैः प्रशंसियशसं देदीप्यमान रुचा // सुग्रीवादिसमस्तवानरयुतं सुव्यक्ततत्त्वप्रियं संरक्तारुणलोचनं पवनजं पीताम्बरालंकृतम् // 1 // वज्राङ्गं पिङ्गकेशाढ्यं स्वर्णकुंडलमंडितम् // नियुद्धमुपसंक्रम्य पारावारपराक्रमम् // 2 // वामहस्ते गदायुक्तं पाशहस्तं कमण्डलुम् // ऊर्ध्वदक्षिणदोर्दण्डं हनूमंतं विचिंतयेत् // 3 // स्फटिकाभं स्वर्ण कांतिं विभुजं च कृताञ्जलिम् / / कुंडलद्वयसंशोभिमुखाम्बुजहरिं भजेत् // 4 // हनुमान्पूर्वतः पातु दक्षिणे पवनात्मजः॥ पातु प्रतीच्याम क्षनः पातु सागरपारगः॥५॥ उदीच्यामूर्ध्वगः पातु केसरीप्रियनन्दनः // अधस्ताद्विष्णुभक्तश्च पातु मध्ये च पावनिः॥६॥ // 219 // For Private And Personal Use Only