________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir नयनयोः पातु मां वानरेश्वरः॥ 1 // शंबीजरूपी को मे मीताशोकविनाशनः / / ग्लौंबीजवाच्यो नासां मे लक्ष्मणप्राणदायकः // 2 // वं बीजार्थश्च कण्ठं मे पातु चाशव्यकारकः॥ एंबीजवाच्यो हृदयं पातु मे कपिनायकः॥३॥ वंबीजकीर्तितः पातु बाहू मे चाञ्जनीसुतः॥ हां बीजो राक्षसेन्द्रस्य दर्पहा पातु चोदरम्॥४॥हींबीजमयो मध्यं पातु लंकाविदाहकः॥ ह्रींबीजधरो मां पातु गुह्य देवेन्द्रवंदितः // 5 // रंबीजात्मा सदा पातु चोरुवारिधिलंघनः // सुधीवसचिवः पातु जानुनी मे मनोजवः // 6 / / पादौ पादतले पातु द्रोणाचलधरोहरिः।। आपादमस्तकं पातु रामदतो महाबलः // 7 // पूर्वे वानरवको मामानेभ्यां क्षत्रियान्तकृत् // दक्षिणे नारसिंहस्तु नैर्ऋत्यां गणनायकः // 8 // वारुण्यां दिशि मामव्यात्खगवको हरीश्वरः // वायव्यां भैरवमुखः कौबेयो पातु मां मदा // 9 // क्रोडास्यः पातु मां नित्यमी , शान्यां रुद्ररूपवृक् // ऊर्ध्व हयाननः पातु न्वधः शेषमुखस्तथा // 30 // गमास्यः पातु मर्वत्र सौम्यरूपी महाभुजः // इत्येवं राम दूतस्य कवचं प्रपठेत्सदा // 11 // एकादशमुखस्यैतद् गोप्यं वै कीर्तितं मया / / रक्षोन्नं कामदं सौम्यं मर्वनम्पद्विधायकम् // 12 // पुत्रदं धनदं चोयशत्रुसंघविमर्दनम् / स्वर्गापवर्गदं दिव्यं चिंतितार्थप्रदं शुभम् // 13 // एतत्कवचमज्ञात्वा मंत्रमिद्धिर्न जायते // चत्वारिंशत्महस्राणि पठेच्छुद्धात्मना नरः॥१४॥ एकवारं पठेन्नित्यं कवचं सिद्धिदं पुमान् // द्विवारं वा त्रिवारं वा पठन्नायुष्यमानुयात्॥ // 15 // क्रमादेकादशादेवमावर्तनजपासुधीः / / वर्षान्ते दर्शन माशाल्लाते नात्र संशयः॥१६॥येयं चितयते चार्थ तंतं प्रामोति पूरुषः॥ ब्रह्मोदीरितमेतद्धि तवाये कथितं महत् // 17 // इत्येवमुक्त्वा वचनं महर्पिस्तूष्णीं बभूवेन्दुमुखी निरीक्ष्य / / संहृष्टचेताऽपि तदा तदीय पादौ ननामातिगुदा स्वभर्तुः // 18 // इति श्रीअगस्त्यमारमंहितायामेकादशमुखहनुमत्कवचं सम्पूर्णम्॥ अथ श्रीरामप्रोनहनुमत्कवच For Private And Personal Use Only