________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir म. म // 218 // भूतप्रताप भूतप्रेतपिशाचब्रह्मराक्षसशाकिनीडाकिन्यन्तरिक्षग्रहपरयंत्रपरतंत्रोच्चाटनाय स्वाहा // मकलप्रयोजननिर्वाहकाय पंचमुखबीरहनुमते पू० खं. 1 श्रीरामचन्द्रवरप्रदाय अँजजजज स्वाहा // 13 // इदं कवचं पठित्वा तु महाकवचं पठेन्नरः // एकबार जपेत्स्तोत्रं सर्वशत्रु निवारणम // 3 // शिवारं तु पठेन्नित्यं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् // त्रिवारं च पठेन्नित्यं सर्वसम्पत्करं शुभम् // 2 // चतुर्वारं पठेन्नित्यं सर्व तरं०९ रोगनिवारणम् // पंचवारं पठेन्नित्यं मर्वलोकवशंकरम् // 3 // पवारं च पठेन्नित्यं सर्वदेववशंकरम् // सनवारं पठेन्नित्यं सर्वसौभाग्य दायकम् // 4 // अश्वारं पठेन्नित्यमिष्टकामार्थसिद्धिदम् // नववारं पठेन्नित्यं राजभोगमवामुयात // 5 // दशवारं पठेन्नित्यं त्रैलोक्य | ज्ञानदर्शनम् // रुद्रावृत्तीः पठेन्नित्यं सर्वसिद्धिर्भवेदध्रुवम् // 6 // कवचस्मरणेनैव महाबलमवानुयात् // 7 // इति श्रीसुदर्शनसंहिता यां श्रीरामचंद्रसीताप्रोक्तं श्रीपञ्चमुखहनुमत्कवचं सम्पूर्णम्॥ एकमुखहनुमत्कवचं पटकवचीप्रयोगे मिश्रतरंगे ज्ञेयम् / अथैकादशमुखहनुम| त्कवचम् // लोपामुद्रोवाच // कुम्भोद्भव दयासिंधो श्रुतं हनुमतः परम् // यंत्रमंत्रादिकं सर्व त्वन्मुखोदीरितं मया // 1 // दयां कुरु मयि प्राणनाथ वेदितमत्महे // कवचं वायुपुत्रस्य एकादशमुखात्मनः // 2 // इत्येवं वचनं श्रुत्वा प्रियायाः प्रश्रयान्वितम् // वक्तुं चक्रमे तत्र लोपामुद्राप्रतिः प्रभुः // 3 // अगस्त्य उवाच // नमस्कृत्वा रामदूतं हनुमंतं महामतिम् // ब्रह्मप्रोक्तं तु कवचं शृणु सुन्दरि सादरम ॥४॥सनन्दनाय सुमहच्चतुराननभाषितम् // कवचं कामदं दिव्यं सर्वरक्षोनिबर्हणम् // 5 // सर्वसम्पत्प्रदं पुण्यं पानां मधुरस्वरे // 6 // ॐ अस्य श्रीमदेकादशमुखहनुमत्कवचस्य सनन्दन ऋषिः / अनुष्टुप्छंदः। प्रसन्नात्मा हनुमान्देवता / वायुपुत्रेति बीजम् / मुख्यः el // 218 // पाण इति शक्तिः। सर्वकामार्थमिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः // ॐ स्फे बीजं शक्तिधृक् पातु शिरो मे पवनात्मजः // को बीजात्मा For Private And Personal Use Only