________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir येत् // ततो गतसारनैवेद्यं देवस्योच्छिष्टं शिरसि धृत्वा नैवेद्यादिकं देवभक्तेषु विभज्य स्वयं भुक्त्या विसर्जनं कुर्यात् / / तथा च / "ॐ गच्छगच्छ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च ॥1॥इत्यक्षतान्निक्षिप्य विसर्जन कत्वा "ॐ तिष्ठतिष्ठ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // यत्र अमादयो देवाः सर्वे तिष्ठति मे हृदि // 1 // " इति हृदयकमले हस्तं दत्त्वा देवं वहृदये संस्थाप्य मानसोपचारैः संपूज्य स्वात्मानं देवरूपं भावयन स्थानमुखं विहरेत् / एवमेवविधिना जपं / समाप्य सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गण ननदशांशहोमतर्पगमार्जनब्राह्मणभोजनं च कुर्यात् // इति हनुमत्पूजापद्धतिः समाना // अथ पंचमुखीहनुमत्कवचत्रारंभः // श्रीपार्वत्युवाच // सदाशिव वरस्वामिज्ञानद प्रियकारक // कवचादि मया सर्व देवानां संश्रुतं प्रिय // 3 // इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं करुणानिधे / बायुसूनोरं येन नान्यदन्वेषितं भवेत् // भाषकानां च सर्वस्वं हनुमत्प्रीति वर्द्धनम् // 2 // श्रीशिव उवाच // देवेशि दीर्घनयने दीक्षादीतकलेवरे // मां पृच्छसि बरारोहे न कस्यापि भयोदितम् // 3 // कथं वाच्यं हनुमतः कवचं कल्पपादपम् // स्त्रीरूपा त्वमिदं नानाकूटमंडितविग्रहम् // 4 / / गह्वरं गुरुगम्यं च यत्र कुत्र बदिप्यसि // तेन | प्रत्युत पापानि जायते गजगामिनि // 5 // अत एव महेशानि नो वाच्यं कवचं प्रिये // 6 // श्रीपार्वत्युवाच / वदान्यस्य वचो) थानेदं नादेयं जगतीतले // त्वं वदान्यावधिः प्राणनाथो मे प्रियकत्सदा // 7 // मह्यं च किंन दनं ते तदिदानी बदाम्यहम् // गणपं शात सारे च शैवं वैष्णवमुत्तमम् // 8 // मंत्रयंत्रादिजालं हि मह्यं सामान्यतस्त्वया // दत्तं विशेषतो यद्यत्तत्सर्व कथयामि ते // 9 // श्रीरा) मतारको मंत्रः कोदण्डस्यापि मे प्रियः॥ नृहरेः सामराजो हि कालिकायाः प्रियंवद // 30 // दशविद्याविशेषेण पोडशीमंत्रनायिकाः॥ For Private And Personal Use Only