________________ Shri Maharan Aradhana Kendra www.kabath.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir परमेश्वर // 1 // " इति यज्ञोपदीतम् // 8 // "ॐ स्वभावमुंदरांगाय सत्यासत्याश्रयाय ते // भूपणानि विचित्राणि कल्पयामि सुरा र्चित // 1 // " दशहस्तांगुष्ठस्पृष्टानामिकात्मिकया मुद्द्या भषणानि दद्यात् // इत्याभूषणम् // 1 // "ॐ श्रीखण्डं चंदनं दिव्यं च वगंधादयं मुमनोहरम् // विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दन प्रतिगृह्यताम् // 1 // " अंगुष्ठौ कनिष्ठामूललग्नौ गंधमुद्रा // 10 // ॐ अक्षताथ सुरश्रेष्ठ कुंकुमाताः सुशोभिताः // मया निवेदिता भत्त्या गृहाण परमेश्वर // 3 // " सर्वांगुलीभिर्दद्यात् / इत्यक्षताः // 13 // "ॐ माल्यादीनि मुगंधीनि मालत्यादीनि वै प्रभो // मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर // 1 // " तर्जन्यंगुष्ठमूललने पुष्पमुद्रा इति / पुष्पम् // 12 // इति पुप्पांतं पूजयित्वा प्रयोगोतावरणपूजां च कृत्वा भूपादिपूजनं कुर्यात् // अथ अपादिपूजनम् // 'फडिति'| धूपपात्रं संप्रोक्ष्य मूलेन नमः इति गंधपुष्पान्यां संपूज्य पुरतो निधाय ( Rs ) इति वह्निबीजेनानि संस्थाप्य तदुपरि मूलेन दशांगं दत्त्वा घंटा बादयन / “ॐ बनस्पतिरसोद्भूतो गंधाढयो गंध उत्तमः // आप्रेयः सर्वदेवानां धूपायं प्रतिगृह्यताम् // 1 // " मृ० ॐ भू० सांगाय सपरिवाराय सायुधाय सवाहनाय श्रीहनुमते नमः धूपं समर्पयामि / इति पठित्वा नाभिदेशे धूपयित्वा देवस्य वामभागे धूपपात्रं - निधाय शंखजलं चोत्सृज्य तर्जनीमूलांगुष्ठयोगे धूपमुद्रा तां प्रदर्शयेत् / इति धूपः // 1 // ततः दीपपात्रं गोघृतेनापूर्य मंत्राक्षरतंतुभि वनि निक्षिप्य (ॐ) इति प्रणवेन प्रज्वाल्य घंटां वादयन् नेत्रादिपादपर्यंत दीपं प्रदर्शयेत्॥"ॐ सुप्रकाशो महादीपः सर्वतस्तिमिरापहः॥स वाह्यान्यंतरज्योतिदीपोयं प्रतिगृह्यताम्॥१॥"मृ० ॐ भू० सांगाय सपरिवाराय सायुधाय सबाहनाय श्रीहनुमते नमः दीपं समर्पयामि / / व इति पठित्वा देवस्य दक्षिणभागे दीपपात्रं निधाय ततः शंखजलमुत्सृज्य मध्यमांगुष्टलग्ने दीपमुद्रा तां प्रदर्शयेत् / इति दीपः // 2 // ततो | // ततः महादीप दीप समय तो For Private And Personal use only