________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir . // 21 // यामावहिः नैऋत्य कोणे जनवर्जिते देशे उत्तराभिमुखः अनुपानत्कः वस्त्रेण शिरः प्रावृत्य मलमोचनं कृत्वा मृतिकया जलेन यथासंख्यं पू० खं० 2 शौचं कृत्व हस्तौ पादौ प्रक्षाल्य गंडूषं च कृत्या दंतधावनं कुर्यात॥ तथा च॥ आम्रचंपकापामागाद्यन्यतमं द्वादशांगुलं दंतकाष्ठं गृहीत्वा प्रार्थयेत् ॥"ॐ आयुबलं यशो वर्चः प्रजापशुधनानि च // श्रियं प्रज्ञां च मेधां च त्वंनो देहि वनस्पते // 1 // " इति संप्रार्थ / ॐ ह्रीं तडित्स्वाहा” इति मंत्रण काष्ठं छित्त्वा "ॐ क्लीं कामदेवाय सर्वजनप्रियाय नमः" इत्यनेन दंतान मंशोध्य में बीजन जिह्वामु |ल्लिख्य दंतकाष्ठं बालयित्वा नैर्ऋत्यां शुद्धदेशे निःक्षिपेत // ततो मूलेन मुखं प्रक्षाल्याचम्य स्नानं कुर्यात् / / तथा च तात्कालिकोद्धृतोद में किनोष्णोदकेन वा स्नानं कृत्वा न तु पर्युषितशीतोदकेन ताम्रादिबृहत्पात्रे जलं गृहीत्वा तीर्थान्यावाहयेत // तत्र मंत्रः॥"ॐ गंगे च / यमुने चैव गोदावरि सरस्वति // नर्मद मिंधुकावरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कर // 3 // आवाहयामि त्वां देवि स्नानार्थमिह मुंदरि // एहि / गंगे नमस्तुत्यं सर्वतीर्थसमन्विते // 2 // " इति तीर्थान्यावाह्य // "ॐ ऋतं च सत्यं०" इति मंत्रेणाभिमंत्र्य वरुणमंत्रण स्नात्वा शुष्क शुभ कामोत्पन्नरक्तवस्त्रं परिधाय सूर्यायायं दद्यात् // तत्र मंत्रः। “ॐ एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते // अनुकंपय मां देव गृहाणार्य नमोस्तु ते॥१॥" इत्ययं दत्त्वा नायिवस्वं परिपीड्य आचम्य नित्यनामीत्तकं समाप्य शैवं पंचत्रिपुडं वैष्णवं द्वादशापुड़ तिलकं कुर्यात् // ततः पूजागृहद्वारमागत्य मूलेन अस्वाय फडिति द्वारं संप्रोक्ष्य दक्षिणशाखायाम् / ॐ गं गणपतये नमः // 1 // ॐ हूँ दुर्गायै नमः // 2 // वामशाखायाम् ॐ वं वटुकाय नमः // 3 // ॐ शं क्षेत्रपालाय नमः // 4 // द्वारोपरि ॐ में सरस्वत्यै नमः // 5 // देहल्याम् ॐ सुदर्शनायाबाय फट् // 6 // इति द्वारपूजां कत्वा जपस्थाने गत्वा "ॐ गृहीतस्यास्य मंत्रस्य पुरश्चरण // " For Private And Personal Use Only