________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir चायुतगायत्रीजपमहं करिष्ये / इति संकल्प्य व्याहृतित्रयपूर्वकगायव्ययुतं जपत / ततो गायच्या आचार्यऋषि विश्वामित्रं तर्पयामि d // 3 // गायत्रीछंदम्तर्पयामि // 2 // मवितारं देवतां तर्पयामि // 3 // इति तर्पणं कृत्वा ततस्तम्यां रात्री देवतोपास्तिशुभा शुभ स्वनं विचारयेत् // तथा च नानादिकं कृत्वा हरिपादाम्बुजं स्मृत्वा कुशामनादिशव्यायां यथासुखं स्थित्वा वृषभध्वजं प्रार्थ येत // तत्र मंत्रः। “ॐ भगवन्देवदेवेश शुलभूषवाहन / / इष्टानिष्टं समाचश्च मम सुतम्य शाश्वतः // ॥ॐ नमोजाय त्रिने त्राय पिंगलाय महात्मने / वामाय विश्वरूपाय म्बमाधिपतये नमः // // म्बमे कथय मे तथ्यं सर्वकार्यवशेषतः // क्रियासिद्धि विधास्यामि त्वत्प्रमादान्महेश्वर ॥३॥इति मंत्रणाष्टोनरशतवारं शिवं प्रार्थ्य निद्रां कुर्यात // ततः स्वनं दृष्टं निशि प्रार्तगुरुवे विनिवेदयेत् // अथवा स्वयं म्वमं विचारयेत् / / इति पूर्वकन्यम // अथ प्रातःकत्यम // पुरश्चरणदिवसे श्रीमत्माधकेन्द्रः प्रातःकालात्पूर्व दंडव्यात्म के बाह्म मुहूर्त चोत्थाय प्रातःस्मरणं कृत्वा भूमिं प्रार्थयत // तत्र मंत्रः // ॐ समुद्रमेखले देवि पर्वत स्तनमंडले // विष्णुपनि नमस्तुत्यं पादस्पर्श क्षमम्ब मे // 1 // " इति भूमि संप्रार्य श्वामानुसारेण भूमौ पादं दत्त्वा बहिब्रजेत् // ततो लिंगचन्द्रायोचित्र भारती जाहवी गुरुः / रक्ताधितरणं युद्धे जयोऽनलप्समचनम् // शिखिहंसरथांगाढाये रथे स्थान च मोहनम् // आरोहण | सारसस्त्र धरालाभश्च निम्नगा // प्रासादः स्पंदनः पद्मं छत्र कन्या हमः फलीः।। नागो द्वीपो हयः पुष्पं वृषभोवन पर्वतः।। मरावटा ग्रहास्तारा नारी सूर्योदयो सराः // इम्यशैल विमानानामारोहो गगने गमः // मद्यमांसादनं विष्ठालेपो रुधिरखेचनम् // दध्यादनादन राज्याभिषको गोवृषध्वजाः // सिंहः सिंहासनं शंखो| बदिव रोचनादिभिः।। चंदनं दपणश्चैषां स्वप्ने वै दर्शन शुभम तैलाभ्यक्तः कृष्णवों नग्नो नागवायसौ // शुष्क कंटकिवृक्षश्च चांडालो दीर्वकंधरः।। प्रासादस्त बद्दीनल नेते स्वप्ने शुभाबहाः इति स्वयं स्वप्नं विचारयेन / / For Private And Personal Use Only