________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // 203 // dॐ दक्षिणाशानास्कराय नमः / दक्षिणाशाभास्करश्रीपा० // 7 // ॐ मवविन्ननिवारकाय नमः / सर्वविन्ननिवारकश्रीपा० // 8 // MI इति नामभिः संपूज्य पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति द्वितीयावरणम् // 2 // तातोष्टदलायेषु प्राचीक्रमण // ॐ सुग्रीवाय नमः / सुग्री शवश्रीपा०॥1॥ ॐ अंगदाय नमः / अंगदश्रीपा० // 2 // ॐ नीलाय नमः / नीलश्रीपा० // 3 // ॐ जांबवते नमः। जांबवच्छी पा०॥४॥ ॐ गलाय नमः / नलश्रीपा० // 5 // ॐ मुषेणाय नमः। मुषणश्रीपा० // 6 // ॐ द्विविदाय नमः / द्विविद श्रीपाः // 7 // ॐ मयंदाय नमः / मयंदश्रीपा० // 8 // इत्यष्टी वानरान पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति तृतीयावरणम् // 3 // ततः भपुरे इन्द्रादिदशदिक्पालान् वज्राद्यायुधानि च संपृज्य पुष्पांजलिं च दद्यात् // इत्यावरणपूजां कृत्वा धूपादिनमस्कारां तं मंपूज्य जपं कर्यात // अस्य पुरश्चरणं द्वादशसहस्रजपाः।।तद्दशांशतो होमः एवंकते मंत्रः मिद्धो भवति॥ सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान माधयेत् // तथा च-"एवं ध्यात्वा जपेदकसहस्रं जितमानमः // दशांशं जुहुयाद्रीहीन्योदध्याज्यसंयुतान // 1 // एवंमिद्धे मनी मंत्री, स्वपरेष्टं प्रसाधयेत् // कदलीबीजपूराम्रफलैर्हत्यासहस्रकम् // 2 // द्वाविंशतिं ब्रह्मचारीन्विप्रान्सम्भोजयेदथ // एवंकते महाभूतविषचौरायु पद्रवाः // 3 // नश्यंनि क्षणमात्रेण विद्वेषियहदानवाः॥अष्टोत्तरशतं वारि मंत्रितं विषनाशनम् // 4 // रात्रौ नवशतं मंत्र जपेद्दशदिनावधि यो नरस्तस्य नश्यति राजशत्रूत्थाशीतयः॥५॥अभिचारोत्थभूतोत्थज्वरे तं मंत्रितैर्जलैः॥ भस्मभिःमलिलैर्वापि ताडयेज्ज्वरिणं क्रुधा॥६॥ दिनत्रयाज्ज्वरान्मुक्तः स सुखं लभते नरः // तन्मंत्रितौषधं जग्ध्वा नीरोगो जायते ध्रुवम् // 7 // तन्मंत्रितं पयः पीत्वा योद्धुं गच्छेन्मन | जपन // तज्जनभस्मलितांगः शस्त्रसंधैर्न बाध्यते // 8 // शवक्षतं वणः शोफो लूतास्फोटोपि भस्मना।।त्रिमंत्रितेन संस्पृष्टाःशुष्यंत्यचिरतो // 20 For Private And Personal Use Only