________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 09-09 कराच जंतवोऽनेन भवन मरः परिपूज्य च // 34 // गृहत्यानपावरेधते तद् गृहं चिरम् // 6000 नृणाम्॥९॥सूर्यास्तमयमाराय जपेत्सूर्योदयावधिः / / कीलकं भस्म चादाय मनाहावधिसंगुतः // 10 // निखनेद्भस्मकीलौ तौ विद्विषो) द्विार्यलक्षितः // विद्वेषं मिथ आपन्नाः पलायंतेऽरयोचिरात् / / 13 // अभिमंत्रितभस्मां देहचंदनसंयुतम्॥ खाद्यादियोजितं यस्मै दीयते | स तु दासवत् // 12 // ऋराश्च जंतवोऽनेन भवंति विधिना वशाः // ईशानंदिस्थमूलेन भृतांकुशनगेःशुभाम् // 13 // अंगुष्ठमात्रां प्रतिमां प्रविधाय हनूमतः // प्राणसंस्थापनं कृत्वा सिंदूरैः परिपूज्य च // 14 // गृहस्याभिग्यो द्वारे निखनेन्मंत्रमुच्चरन् / भूताभि|| चारचौराग्निविपरोगनृपोद्भवाः॥ 15 // संजायते गृहे तस्मिन्न कदाचिदुपदयाः॥ प्रत्यहं धनपुत्राधेरेधते तद् गृहं चिरम् // 16 // निशि श्मशानभूमिस्थो जस्मना मृत्स्नयापि वा // शवोः प्रतिकतिं कृत्वा हृदि नाम ममालिखेत // 17 // कृतप्राणप्रतिष्ठां तां मियाच्छवैमर्नु जपन // मंत्रांते प्रोचरेच्छत्रो म छिंधि च भिंधि च // 18 // मारयेति च तस्यांत दंतरोष्टं निपीड्य च // पाण्योस्तले | प्रपीड्याथ त्यक्त्वा तां सदनं व्रजेत्॥१९॥एवं मतदिनं कुर्वन्हन्याच्छनशिवादितम् // अर्धचन्द्राकतो कुंडे स्थंडिले वा हृतं चरेत् / / 20 // मुक्तकेशः श्मशानस्थो लवणैराजिकायुतैः / / उन्मनफलपुष्पैश्च नखरोमविरैरपि // 21 // काककौशिकगृध्राणां पक्षैः श्लेष्मां तकारंजैः // समिदुरैश्च त्रिशतं दक्षिणाशामुखो निशि // 22 // सनघस्रानिदं कुर्वन्मारयेद्रिपुमुद्धतम् // शतषट्कं जपेद्रात्रौ श्मशाने दिवसत्रयम् // 23 // ततो वेताल उत्थाय वदेभावि शुभाशुभम् / / उदितं कुरुते सर्व किंकरीभय मंत्रिणः // 24 // वश्ये युद्धे नृपदारे | 1 देहचंदनं देहे धृतं यच्चंदनं तेन युतं भस्मांबु च मंत्रितं यस्मै देयं स वयः स्यात् // 2 भूनांकुशतः करंजस्य अरिष्टस्य इंशानदिशि स्थितेन मूलेनां | गुष्टमिता हनुत्प्रतिमां कृत्वा प्राणान्तस्थाप्य सिंदूरैरभ्पर्य यद् गृहद्वारि निखन्यते तत्र सर्वोपद्रवनाशस्सम्पत्तिवृद्धिश्च // 3 शिवावितं शिवेनापि राक्ष शत्रुमेवं कुर्वन् हन्यात // 4 उन्मतो धत्तरः॥ ५ोमांतकश्चिकणफको वृक्षः॥ 6 अक्षो विभीतकम्तदुन्यसामद्भिश्च // For Private And Personal Use Only