________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // 199 // अहिमानूजितोधीमानामुक्तःकीर्तिवर्द्धनः // 32 // महावयागणपतिगणेशोगणनायकः / / तीव्रप्रतापनस्तापातापनोविश्वतापनः // 33 // पू० खं. 1 कार्नस्वरोहृषीकेशःपद्मानंदोभिनंदितः // पद्मनानोमृताहारःस्थितिमान्केतुमान्नभः // 34 // अनाद्यतोच्युतोविश्वविश्वामित्रोघृणी का मू० तं० विराट् // आमुक्तःकवचीवाग्ग्मीकंचुकीविश्वभावनः // 35 // अनिमित्तगतिःश्रेष्ठःशरण्यःसर्वतोमुखः // विगाहीरेणुरमहाममायुक्त तरं० 8 समाहितः // 36 // धर्मकेतुर्धर्मरतिः संहर्तामयमोयमः // प्रगतातिहरोवादीसिद्धकार्याजनेश्वरः // 37 // ननोविगाहनस्मत्यस्ता ममःमुमनोहरः // हारीहरिर्हरोवायुक्रतुःकालानलद्युतिः // 38 // सुखमेव्योमहातेजाजगतामंतकारणम् // महेन्द्रोविष्टुतस्तोत्रंस्तुतिहेतुः प्रभाकरः // 39 // महस्रकरआयुष्मानगेषःसुखदम्मुखी / / व्याधिहामुखदःमौख्यंकल्याणःकल्पिनांवरः // 40 // आरोग्यकर्मणां मिद्धिवृद्धिऋद्धिरहस्पतिः हिरण्यरेताआरोग्यविद्वान्बंधुर्बधोमहान // 41 // प्रणवान्धृतिमान्धोधर्मकर्तारुचिप्रदः // मर्वत्रियःमर्वमहःसर्व शत्रुनिवारणः // 42 // प्रांशुविद्योतनोद्योतःमहस्रकिरणःकृतिः // केयूरभूषणोद्रामीभासितोभासनोनलः // 43 // शरण्यातिहरो होताखद्योतःखगमत्तमः // सर्वद्योतोभवद्योतःसर्वद्युतिकरोमलः // 14 // कल्याणःकल्याणकरःकल्पःकल्पकरःकविः // कल्याण कत्कल्पवपुःसर्वकल्याणभाजनः॥४५॥शांतिप्रियःप्रसन्नात्माप्रशांतः प्रशमप्रियः // उदारकर्मामुनयःमुवर्चावर्चसोज्ज्वलः // 46 // वर्चम्बी! वर्चमामीशस्वैलोक्येशोवशानुगः // तेजस्वीमुयशावर्णिवर्णाध्यक्षोवलिप्रियः // 47 // यशस्वीवेदनिलयस्तेजस्वीप्रकृतिस्थितः / / आकाशगःशीघ्रगतिराशुगःश्रुतिमानखगः // 48 / / गोपतिहदेवेशोगोमानेकःप्रभंजनः / / जनिताप्रजनंजाबोदीपःसर्वप्रकाशकः॥४९॥ कर्ममाक्षीयोगनित्योनभस्वानमुरांतकः / / रक्षोनोविन्नशमनःकिरीटीमुमनःप्रियः // 50 // मरीचिमालीसुमतिःकतातिथ्योविशेषतः // For Private And Personal Use Only