________________ Shri Mahavirian Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir www.kobalrm.org खं०१ निवारणम् // 10 // पठेदेतद्धि यो राजन स श्रेयः परमानुयात // म सिद्धसर्वमंकल्पः सुखमत्यंतमश्रुते // 11 // धर्माणिभिर्द्धर्म | लब्ध्यै सखाय च मुखार्थिभिः // राज्याय राज्यकामैश्च पठितव्यमिदं नरैः // 12 // विद्यावहं तु विप्राणां क्षत्रियाणां जयावहम् // पश्वावहं तु वैश्यानां शूद्राणां धर्मवर्द्धनम् // 13 // पठतां शृण्यतामेतद्भवतीति न संशयः॥ तच्छृणुष्व नृपश्रेष्ठ प्रयतात्मा ब्रवीमि ते // नाम्नां सहस्रं विख्यातं देवदेवस्य भास्वतः॥ 14 // ॐ अस्य श्रीमूर्यसहस्रनाम्नां भगवान पराशर ऋषिः / अनुष्टुप् छन्दः / श्रीमयों देवता / सकलाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः // ॐ विश्वविद्विश्वजित्कर्ताविश्वात्माविश्वतोमुखः // विश्वेश्वरोविश्वयोनिनियतात्माजिते न्द्रियः // 3 // कालाश्रयः कालकर्ताकालहाकालनाशनः // महायोगीमहाबुद्धिमहात्मासुमहाबलः // 2 // प्रभुविभु तनाथोभूतात्माभु वनेश्वरः // भूतभव्योभावितात्माभृतांतःकरणश्शिवः // 3 // शरण्यः कमलानन्दोनन्दनोनंदवर्द्धनः // वरेण्योवरदोयोगीसुसंयुक्तःप्रका शकः // 4 // प्रामाणःपरमःप्राणःप्रीतात्माप्रियतःप्रियः॥ नयःसहस्रपात्माधुर्दिव्यकुण्डलमण्डितः ॥५॥अव्यंगधारीधीरात्माप्रचेतावायु वाहनः // समाहितमतिद्धताविधाताकतमंगलः // 6 // कपर्दीकल्पद्रुद्रःमुमनाधर्मवत्मलः // समायुक्ताविमुक्तात्माकतात्माकतिनां वरः // 7 // अविचिंत्यवपुःश्रेष्ठोमहायोगीमहेश्वरः // कांतःकामादिरादित्योनियतात्मानिराकुलः // 8 // कामःकारुणिकःकर्ताकमला करबोधनः॥ सप्तसप्तिरचिंत्यात्मामहाकारुणिकोत्तमः॥ 9 // संजीवनोजीवनाथोजगज्जीवोजगत्पतिः॥ अजयोविश्वनिलयस्संविनागोवृष ध्वजः // 10 // वृषाकपिःकल्पकर्ताकल्पांतकरणोरविः॥ एकचक्ररथोमौनीमुरथोरथिनां वरः॥११॥ अक्रोधनोरश्मिमालीतेजोराशिर्वि भावमुः॥दिव्यकदिनकद्देवोदेवदेवोदिवस्पतिः॥ १२॥दीननाथोहविहातादिव्यबाहुर्दिवाकरः॥ यज्ञोयज्ञपतिःपृषास्वर्णरेताःपरावहः।।१३॥ // 198 // For Private And Personal Use Only