________________ She avrain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir // 193 // मं०म०कालष्यहीनाय परिपूर्णमुखात्मने // मधुपर्कमिदं देव कल्पयामि प्रसीद मे" // // इति मधुपर्कम् // 4 // “ॐ उच्छिष्टोप्यशुचिबीपि पू० ख०१ यस्य स्मरणमात्रतः॥ शुद्धिमानोति तस्मै ते पनराचमनीयकम् // 3 // इत्याचनीयम॥५॥"ॐ स्नेहं गृहाण स्नेहेन लोकनाथ महाशय सूतं. सर्वलोकेषु शुद्धात्मन्ददामि स्नेहमुत्तमम्" // 3 // इति सुगंधर्तलम् // 6 // "ॐ गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलैः // नापितोऽसि | तरं० 8 मया देव तथा शांतिं कुरुष्व में" // 1 // इति जलस्नानम् // 7 // ॐ पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करायुतम् // पंचामृतं मया नीत मानार्थ प्रतिगृह्यताम् // 1 // इति पंचामृतेन नापयित्वा पुनः जलनानं च कारये // 8 // "ॐ सर्वभूषादिके सौम्ये लोकलज्जानिबारणे // मग वापादिते तुत्यं बासमी प्रतिगृह्यताम् // 3 // इति रक्तवस्त्रम् // 5 // "ॐ नवभिस्तंतुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् // उपवीत चोनरीयं गृहाण परमेश्वर" // 1 // इति यज्ञोपवीतम् // 10 // "स्वभावसुंदरांगाय सत्यासत्याश्रयाय ते // भूषणानि विचित्राणि कल्पयामि मुरार्चित // 1 // दक्षहस्तांगुटस्पृष्टानामिकात्मिकया मुद्रया भूषणानि दद्यात // 11 // "ॐ श्रीखण्डं चंदनं दिव्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम् // विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्" / अंगुष्टकनिष्ठामूललग्ने गंधमुद्रा इति गंधम् / / 12|| "ॐ अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः / / मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर" ||1|| सर्वागुलीभिर्दद्यात् / / इत्यक्षतान // 13 // “ॐ माल्या दीनि सुगंधीनि मालत्यादीनि वै प्रभो॥मयाऽऽनीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर"|| तर्जन्यावंगुष्ठमूललग्ने पुष्पमुद्रा इति पुष्पम्॥१४॥ एवं पुष्पांतं पूजयित्वा देवाज्ञया प्रयोगोतावरणपूजां कृत्वा धुपादिपूजनं कुर्यात् / / अथ धूपादिपूजनम् ॥"ॐ वनस्पतिरसोडूतो गंधाढ्यो गंध उनमः // आधेयः सर्वदेवानां धूपोयं प्रतिगृह्यताम्" // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भवः स्वः सांगाय सपरिवाराय सवाहनाय सायुधाया। 5 // For Private And Personal Use Only