________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir मं• म // 7 // चैकस्य क्रमोयं चालयेजपेत् // 179 // अंगुष्ठेन तु मोक्षाय मध्यमाघविवृद्धये // जपेदनामिकांगुष्ठर्नेतराभ्यां कदाचन // 01 प्र.१ अंगुष्टमध्यमायोगात्सर्वसिद्धिप्रदासने // (मतान्तरे ) अंगुष्ठमध्यमाभ्यां च चालयेन्मध्यमध्यतः // तर्जन्या न स्पृशेदेनां मुक्तिदो गणन| तर० 1 क्रमः॥१८०॥अथ जपनिर्णयः( गोभिलमते ) नैरन्तर्यविधिः प्रोक्तो न दिनं व्यतिलङ्घयेत्॥दिवसातिक्रमे तेषां सिद्धिरोधः प्रजायते। // 18 // शनैः शनैरतिस्पष्टं न द्रुतं न विलम्बितम् // न न्यूनं नातिरिक्तं वा जपं कुर्यादिनेदिने // 182 // (तंत्रसारे ) मनः संहृत्य विषयान्मंत्रार्थगतमानसः // न द्रुतं न विलंबं च जपेन्मौक्तिकपक्तिवत् // 183 // उच्चरेदर्थमुद्दिश्य मानसः स जपः स्मृतः // जिह्वोष्टौ चालयत्किचिद्देवतागतमानसः // 184 // किंचिच्छ्रवणयोग्यः स्यादुपांशुः स जपः स्मृतः // जिह्वाजपः शवगुणः सहस्रं मानसः स्मृतः / जिह्वाजपः स विज्ञेयः केवल जिह्वया बुधैः // 185 // वर्णलक्षं जपेन्मत्रं तदध वा महेश्वरि // एकलक्षावधिं कुर्यान्नातो न्यूनं कदाचन // 186 // कल्पान्ते तु कते संख्या त्रेतायां द्विगुणा स्मृता // द्वापरे त्रिगुणा पोक्ता कलो संख्या चतुर्गुणा // 187 // (मंत्रमहोदधौ)पुरश्चरण एकस्मिन्कृते जन्मांतरौषतः // मंत्रो यदि न सिद्धः स्यात्तदा / तत्पुनराचरेत् // 188 // ( ग्रंथांतरे ) सम्यगनुष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धिर्न जायते // पुनस्तेनैव कर्तव्यं ततः सिद्धो भवेद्धम् // 189 // पुनरनुष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धो न जायते // पुनस्तेनेव कर्तव्यं ततः सिद्धो भवेद्धवम् // 19 // पुनः सोऽनष्ठितो मंत्रो यदि सिद्धो न जायते // उपायास्तत्र कर्तव्याः सप्त शंकरभाषिताः // 191 // धामणं रोधनं वश्यं पीडनं शोषपोषण // दहनांवं कमात्कुर्यात्ततः सिद्धोभवेत्पुनः॥ 192 // (मंत्रमहोदधौ ) यद्वा समुद्रगामिन्यां नद्यार्मिदुरविग्रहे। सन्मिोक्षांतमाजप्य। जुहुयाचदशांशतः // 193 // विप्रान्सभोज्य नानानमंत्राणां सिद्धिमाप्नुयात॥ सम्यग्जपपरस्यापि सिद्धयंति मनवोचिरात्॥१९४॥ For Private And Personal Use Only