________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मं०म० ख.१ // 187 // प्रयागजम् / / विष्णोर्नामसहस्रस्य कलां नाहन्ति पोडशीम् // 224 // इति नारदपंचशक्रोक्तश्रीविष्णोर्नामसहस्रं समाप्तम् / // अथ महापुरुषविद्यारम्भः॥जितं ते पुंडरीकाक्ष नमस्ते विश्वनावन // सुब्रह्मण्य नमस्तेऽस्तु महापुरुष पूर्वज // 1 // नमो हिरण्यगर्भाय प्रधानव्यक्तिरूपिणे // ॐ नमो वासुदेवाय शुद्धज्ञानस्वरूपिणे ॥२॥देवानां दानवानां च सामान्यमसि दैवतम् // सर्वदा चरणद्वंद्वं ब्रजामि। शरणं तव // 3 // एकस्त्वमसि लोकस्य स्रष्टा संहारकस्तथा // अध्यक्षश्चानुमंता च गुणमायासमावृतः // 4 // संमारमागरं घोरम नंतं क्लेशभाजनम् // त्वमेव शरणं प्राप्य निस्तरंति मनीषिणः // ५॥न ते रूपं न चाकारो नायुधानि न चास्पदम् // तथापि पुरुषा कारो भक्तानां त्वं प्रकाशसे // 6 // नैव किंचित्परोक्षं ते प्रत्यक्षोऽसि न कस्यचित् // नैव किंचिदसाध्यं ते न च साध्योऽसि कस्यचित् | // 7 // कार्याणां कारणं पूर्व वचसां वाच्यमुत्तमम् // योगिनां परमां सिद्धिं परमं ते पदं विदुः // 8 // अहं भीतोऽस्मि देवेश संसारे ऽस्मिन्महाभये // त्राहि मां पुंडरीकाक्ष न जाने शरणं परम् // 9 // कालेष्वपि च सर्वेषु दिक्षु सर्वामु चाच्युत // शरीरेऽपि गतौ चापि वर्तते मे महद्भयम् // 10 // त्वत्पादकमलादन्यन्न मे जन्मांतरेष्वपि // निमित्तं कुशलस्यास्ति येन गच्छामि सद्गतिम् // 11 // विज्ञा | नं यदिदं प्राप्तं यदिदं ज्ञानमूर्जितम् // जन्मांतरेपि मे देव माभूदस्य परिक्षयः॥ १२॥दुर्गतावपि जातायां त्वं गतिस्त्वं मतिर्मम // यदि नाथं च विज्ञेयं तावतास्मि कृती सदा // 13 // आकामकलुषं चित्तं मम ते पादयोः स्थितम् // कामये वैष्णवत्वं तु सर्वजन्मसु केवलम् के // 14 // इति महापुरुषविद्या समाप्ता // श्रीगणेशाय नमः // अथ नृसिंहकवचप्रारंभः // नारद उवाच // इन्द्रादिदवेबूंदेश ईडयेश्वर जगत्पते // महाविष्णोर्नृसिंहस्य कवचं ब्रूहि मे प्रभो // 1 // यस्य प्रपठनाद्विद्वांस्त्रैलोक्यविजयी भवेत् // ब्रह्मोवाच // शृणु नारद 187 // For Private And Personal Use Only