________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir AIहि // 207 // अतः परं किमधिकं पदं श्रीपुरुषोत्तमात् // तमविज्ञाय तान् मूढा यजते ज्ञानमानिनः // 208 // मुषितास्मि त्वया नाथ चिरं यदयमीश्वरः // प्रकाशितो न मे तस्य दत्ताद्या दिव्यशक्तयः॥२०९।। अहो सर्वेश्वरो विष्णुः सर्वदेवोत्तमोत्तमः // अवदादि गुरुर्मूढैः सामान्य इव लक्ष्यते // 210 // महीयसां हि माहात्म्यं भजमानान्जंति चेत् // द्विषतोऽपि तथा पापानुपेक्ष्यते क्षमालयाः / // 213 // मयापि बाल्ये स्वपितुः प्रजा हृष्टा बुभुक्षिताः॥ दुःखादशक्ताः स्वंपोष्टुं श्रियानाध्यासिताः पुरा // 212 // त्वया धू संवर्द्धिताभिश्च प्रजाभिर्विबुधादयः // विशसद्भिः स्वशत्याद्याः ससुहृन्मित्रवान्धवाः / / 213 // त्वया विना व देवत्वं क्व धैर्य व परि यहः // सर्वे भवंति जीवंतो यातनाः शिरसि स्थिताः॥ 214 // तमृते नैव धर्मार्थी कामो मोक्षोऽपि दुर्लभः // शुधितानां दुर्गतानां कुतो योगसमाधयः।। 215 // सा च संसारसारका सर्वलोकैकपालिका // वश्या सा कमला यस्य त्यत्का त्वामपि शंकर // 216 / / श्रिया धर्मण शौर्यण रूपेणार्जवसंपदा / / सर्वातिशयवीर्यण संपूर्णस्य महात्मनः / / 207 // कस्तेन तुल्यतामेति देवदेवेन विष्णुना / / यस्यांशांशकभागेन विना सर्व विलीयते // 218 // जगदेतत्तथा प्राहुर्दापायैतद्विमोहिता // नास्य जन्म जरा मृत्यु प्राप्यं वार्थमेव वा // 219 // तथापि कुरुते धान्पालनाय सतां कृते // विज्ञापय महादेवं प्रणम्यैकमहेश्वरम् // 220 // अवधार्य तथा साहं कांत कामद शाश्वत // कामाद्यासक्तचित्तत्वात्किं तु सर्वेश्वर प्रभो // 221 / / त्वन्मयत्वात्प्रसादाद्वा शक्नोमि पठितुन्न चेत् / / विष्णोः सहस्रनामैतत्प्रत्यहं वृषभध्वज // 222 // नामैकेन तु येन स्यात्तत्फलं ब्रूहि मे प्रभो // श्रीमहादेव उवाच / / ॐ राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे / / सहस्रनामभिस्तुल्यं रामनाम वरानने // 223 // अतः सर्वाणि तीर्थानि जलं चैव | For Private And Personal Use Only